नई दिल्ली : करीब 10 साल चली अदालती कार्यवाही के बाद स्पेशल सेल द्वारा देश के खिलाफ जंग छेड़ने की धाराओं में गिरफ्तार किए गए दो युवकों को पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश सिंह ने बरी कर दिया है। खास बात यह है कि दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर जब सीबीआइ ने मामले की पड़ताल शुरू की तो पाया कि दोनों आरोपी इरशाद अली और मौरिफ कमर दिल्ली पुलिस और इंटेलीजेंस ब्यूरो (आइबी) के जासूस थे।
दिल्ली पुलिस ने एफआइआर में कहा था कि फरवरी 2006 में दोनों को गुप्त सूचना के आधार पर उत्तर- पश्चिमी दिल्ली स्थित मुकरबा चौक इलाके से गिरफ्तार किया गया था। बताया गया कि दोनों प्रतिबंधित आतंकी संगठन अल-बदर के सदस्य हैं। गिरफ्तारी के वक्त उनके पास से पिस्तौल, गोलियां व डेटोनेटर बरामद हुए। जिसे देखते हुए दोनों के खिलाफ आइपीसी की धारा-121 (भारत के खिलाफ जंग छेड़ना) व धारा-120बी (आपराधिक षड्यंत्र) के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। दोनों आरोपियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटा कर कहा कि उन्हें पुलिस ने दिसंबर 2005 में पकड़ा था। वह लंबे समय से आइबी और पुलिस के लिए गुप्त सूचना देने का काम करते रहे हैं। अब उन्हें ही बली का बकरा बनाया जा रहा है। हाई कोर्ट ने सीबीआइ जांच के आदेश दिए। सीबीआइ ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दावा किया कि दोनों को दिल्ली पुलिस और इंटेलीजेंस ब्यूरो ने गलत तरीके से फंसाया है।
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