लंबे समय से प्रियंका गांधी को राजनीति में लाने की कोशिशें चल रही हैं और कांग्रेस कार्यकर्ताओं भी इस बात की मांग कर रहे हैं कि प्रिंयका को राजनीति में लाकर ही कांग्रेस का उद्धार हो सकता है। ‘प्रियंका लाओ, कांग्रेस बचाओ’ के नारों के साथ लंबे समय से कार्यकर्ता भैय्या जी को राजनीति में लाने की मांग करते हैं। लेकिन अब इंतजार की घड़ियां खत्म हो चुकी हैं और प्रियंका को संपूर्ण राजनीति में लाने की तारीख अब तय हो चुकी है।
आज तक के हवाले से खबर है कि यूपी चुनाव नजदीक आने के साथ ही कांग्रेस की बदली हुई रणनीति और उसमें प्रियंका गांधी की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए कयास लगने लगे हैं कि क्या सोनिया गांधी की जगह प्रियंका गांधी 2019 के चुनाव में रायबरेली लोकसभा सीट से मैदान में उतरेंगी। हाल के दिनों में सोनिया गांधी की सक्रियता सियासी गलियारे में कम ही देखी गई है। जानकार बताते हैं कि खराब स्वास्थ्य के कारण सोनिया गांधी की सक्रियता घटी है।
सपा-कांग्रेस गठबंधन में प्रियंका के फोन से बनी बात
यूपी चुनाव के लिए जब सपा से गठबंधन पर बात बिगड़ते-बिगड़ते बनी तो इसका श्रेय प्रियंका गांधी को दिया गया। कहा गया कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल से प्रियंका गांधी की अंडरस्टैंडिंग के कारण गठबंधन पर बात बनी। इससे पहले भी प्रियंका गांधी अप्रत्यक्ष तौर पर सियासत में सक्रिय रही हैं। प्रियंका 1999 से ही अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का चुनाव प्रबंधन देखती आ रही हैं।
अहमद पटेल ने किया ट्वीट
पार्टी के सीनियर नेता अहम पटेल ने भी ट्वीट कर सपा-कांग्रेस गठबंधन में प्रियंका के रोल को स्वीकार किया. इन बातों से साफ होता है कि प्रियंका को राजनीतिक पटल पर लाने में कांग्रेस की ओर से जो झिझक दिख रही थी पार्टी उससे आगे बढ़ रही है. इसके साथ ही ये अटकलें भी लगने लगी है कि क्या प्रियंका 2019 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली सीट से उम्मीदवार होंगी?
Wrong to suggest lightweights were dealing on behalf of Congress party.Discussion was at highest level- b/w CM (UP),GS I/C & Priyanka Gandhi
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) January 22, 2017
अगले स्लाइड में पढ़ें – आखिर प्रियंका को राजबरेली से ही क्यों चुनावी मैदान में उतारना चाहती है कांग्रेस
































































