बीजेपी, बीएसपी हों या एसपी-कांग्रेस गठबंधन, सब गरीबों का हितैषी होने का दावा करते हैं लेकिन इन पार्टियों से चुनावी मैदान में उतरे प्रत्याशियों के हलफनामे कुछ और भी कह रहे हैं।अकेले पहले चरण में अपनी किस्मत आजमाने वाले प्रत्याशियों में से 231 करोड़पति हैं। खुद को गरीबों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी होने का दावा करने वाली बीएसपी इस मामले में सबसे आगे है। पहले चरण में बीएसपी के 52 प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। इसके बाद नंबर आता है एसपी-कांग्रेस गठबंधन का। गठबंधन के 44 करोड़पति मैदान में है जबकि बीजेपी के 37 और राष्ट्रीय लोकदल(आरएलडी) के 31 उम्मीद्वार करोड़पति हैं।
पहले चरण की चुनावी जंग में उतरने वाले सबसे अमीर प्रत्याशी हैं आरएलडी के शैलेंद्र सिंह, जिनकी संपत्ति 38.04 करोड़ रुपए है। शैलेंद्र सिंह बागपत जिले के छपरौली से चुनाव लड़ रहे हैं। इसके बाद इस लिस्ट में बीएसपी के तीन कैंडिडेट हैं। मुरादनगर से बीएसपी प्रत्याशी सुधन कुमार की संपत्ति 33.30 करोड़ रुपये है, मेरठ(दक्षिण) से हाजी मो. याकूब कुरैशी की संपत्ति 28.72 करोड़ और गढ़मुक्तेश्वर से बीएसपी कैंडिडेट प्रशांत चौधरी 26.57 करोड़ की संपत्ति के साथ चौथे नंबर पर हैं। इस चरण में टॉप 5 की लिस्ट में आखिरी कैंडिडेट समाजवादी पार्टी से हैं। सिकंदराबाद से एसपी कैंडिडेट राहुल यादव की कुल संपत्ति 22.78 करोड़ रुपये है।
जब बीएसपी के करोड़पति कैंडिडेट हाजी याकूब कुरैशी से पूछा गया कि जब पार्टी खुद को दलितों का प्रतिनिधित्व करने वाला होने का दावा करते हैं तो इतने सारे करोड़पतियों को चुनावी मैदान में उतारने का क्या अर्थ है… तो वह बोले, ‘पार्टी निश्चित रूप से दलितों की हितैषी है लेकिन विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी वही चेहरे हो सकते हैं जो चर्चित हैं और जिनका लोगों से सीधे तौर पर जुड़ाव है। यही वजह है कि टिकट देते समय उनकी संपत्ति को नजरअंदाज किया गया। सत्ता में आने के बाद सभी प्रत्याशी गरीबों के लिए काम करेंगे।’
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