हरीश रावत सरकार चुनाव नतीजों से पहले फिर से एक बड़े विवाद में घिरती नजर आ रही है। बीजेपी सदस्य और आरटीआई कार्यकर्ता की तरफ से दायर एक आरटीआई के जवाब में बताया है कि राज्य सरकार ने कोहली को 47.19 लाख विज्ञापन प्रचार के लिए दिए। खास बात यह है कि इतनी बड़ी रकम 2013 में आई केदारनाथ आपदा के लिए निर्धारित फंड में से दिया गया। हम आपको बता दें कि कोहली ने जून 2015 में प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने वाले एक विज्ञापन में काम किया था। उस वक्त कोहली को प्रदेश का ब्रैंड ऐम्बेसडर बनाया गया था।
नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक विराट कोहली के एजेंट से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से किसी तरह के पैसे का लेनदेन नहीं हुआ है। इसके आगे किसी बात की हमें जानकारी नहीं है। वहीं, इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री हरीश रावत के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र कुमार ने कहा, ‘जो भी किया गया वह पूरी तरह से कानून के दायरे में रहकर किया गया है। पर्यटन प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आधार रहा है। अगर उसे बढ़ावा देने के लिए किसी मशहूर चेहरे का प्रयोग किया गया है तो इसमें क्या बुराई है?’
कुमार ने विपक्षी पार्टी बीजेपी के आरोपों को नकारते हुए कहा, ‘बीजेपी के तरफ से लगाए जाने वाले आरोप पूरी तरह से आधारहीन हैं। बीजेपी चुनाव हार रही है और इसलिए अपनी हताशा इस तरह के आरोप लगाकर निकाल रही है। केदारनाथ त्रासदी के बाद वहां फिर से विकास कार्यों को पटरी पर लाने के लिए सरकार ने कितनी मेहनत की है, यह जनता अच्छी तरह से जानती है।’
सुरेंद्र कुमार को यह बताया कि विराट कोहली के प्रतिनिधि का कहना है कि प्रदेश सरकार की तरफ से अब तक कोई रकम नहीं मिली है। इसके जवाब में कुमार ने कहा, ‘मैं संबंधित विभाग से कोहली को दिए गए चेक के विवरण की जानकारी लूंगा। अपने स्तर पर मैं खुद इसकी जांच करूंगा। बीजेपी की तरफ से ऐसे आरोप लगाए जा रहें, लेकिन अगर क्रिकेटर के प्रतिनिधि का कहना है कि भुगतान नहीं हुआ है तो इसकी जांच की जाएगी।’
आरटीआई दायर करने वाले अजेंद्र अजय का कहना है, ‘आरटीआई के जवाब में साफ कहा गया है कि कोहली को प्रमोशनल विडियो के लिए भुगतान जिला आपदा प्रबंधन अधिकरण रुद्रप्रयाग की तरफ से किया गया है। भुगतान उत्तरांखंड राज्य आपदा प्रबंधन बोर्ड की तरफ से ईमेल पर स्वीकृति के बाद किया गया।’ अजय का यह भी कहना है कि प्रमोशनल विडियो के लिए आपदा प्रबंधन विभाग की तरफ से भुगतान क्यों किया जाना चाहिए?
नवभारत टाइम्स के हवाले से खबर, हेडलाइन के अलावा हमने इस खबर को नवभारत टाइम्स के सौजन्य से प्रकाशित किया है।