फारूक अब्दुल्ला का भड़काऊ बयान: ‘आजादी और अपने हक के लिए कुर्बानी दे रहे हैं आतंकी’

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फारूक

नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने शुक्रवार को एक बड़ा सियासी बम फोड़ते हुए कहा कि कश्मीर में आतंकी बन रहे युवक विधायक या सांसद बनने के लिए नहीं बल्कि इस कौम और वतन की आजादी के लिए अपनी जान कुर्बान कर रहे हैं। वे आजादी और अपने हक के लिए लड़ रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला ने यह बयान देकर विवाद पैदा कर दिया कि कश्मीर में हथियारबंद लड़ाकों की नई पीढ़ी ‘आजादी’ के लिए लड़ रही है।

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हालांकि बाद में फारूक ने अपने बयान से मुकरते हुए कहा कि हम हिंसा और आतंकवाद का समर्थन नहीं करते। हम चाहते हैं कि नई दिल्ली यहां रियासत के युवाओं के साथ संवाद बहाल करे। उनमें बहुत गुस्सा है। हम चाहते हैं कि हाईकोर्ट के किसी जज के नेतृत्व में एक आयोग बने जो युवाओं के बंदूक उठाने के कारणों की जांच करे।

फारूक ने कहा कि कश्मीरियों की नई पीढ़ी बेखौफ है और वह ‘बंदूकों से नहीं डरती।’ उन्होंने कहा, ‘एक नई पीढ़ी पैदा हुई है जिसे बंदूकों से डर नहीं लगता। यह इस देश के लिए आजादी हासिल करने की कोशिश कर रही है।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ‘कुर्बानी दे रहे’ लड़के विधायक, सांसद या मंत्री नहीं बनना चाह रहे। उन्होंने कहा, ‘वे अपने हक की मांग के लिए कुर्बानी दे रहे हैं। (वे कहते हैं) यह हमारी सरजमीं है और हम ही इसके वाजिब मालिक हैं, लेकिन वे (भारत और पाकिस्तान) इसे नहीं समझते।’

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फारूक ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे इन कुर्बानियों को न भुलाएं। भारत और पाकिस्तान दोनों पर बरसते हुए फारूक ने कहा कि दोनों देशों ने कश्मीरियों के साथ ‘इंसाफ नहीं किया।’ उन्होंने कहा, ‘हम किसी के दुश्मन नहीं हैं…..यह लड़ाई 1931 में शुरू हुई। लेकिन हम दोनों देशों से कहते हैं कि हमारे साथ इंसाफ करो। आप तो 1948 में किया गया वादा भी भूल गए।’

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