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केन्द्र सरकार जम्मू-कश्मीर में रह रहे म्यांमार के करीब 10,000 रोहिंग्या मुसलमानों की पहचान करने तथा उन्हें उनके देश वापस भेजने के तरीकें तलाश रही है। सबसे ज्यादा रोहिंग्या जम्मू और साम्बा जिलों में रहते हैं, जहां इनकी संख्या 10 हजार के करीब है। ये लोग समुद्र, बांग्लादेश और म्यामांर सीमा से लगे चीनी इलाके के जरिए भारत में घुसपैठ करते हैं।
सोमवार को गृहमंत्री राजनाथ सिंह, गृह सचिव राजीव महर्षि, जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक एस पी वैद और खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक में जम्मू-कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों और घाटी में हिंसक हालात पर गंभीर मंत्रणा हुई।
जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुमान के मुताबिक राज्य में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या करीब 5700 है, लेकिन इनकी संख्या 10,000 तक हो सकती है। देश में विभिन्न हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं और वे सभी अवैध तरीके से भारत में घुसे हैं।
वहीं संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संगठन के आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश में 14,000 रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थी रहते हैं। सरकार का कहना है कि रोहिंग्या मुसलमानों को संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी का ओहदा नहीं मिला है और इन्हें देश में घुसे अवैध लोगों के तौर पर देखती है। ऐसे में फॉरनर्स ऐक्ट के तहत सरकार इन्हें हिरासत में लेने, गिरफ्तार करने सजा देने और प्रत्यर्पण करने का अधिकार रखती है।
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