दिल्ली: आतंकवादी संगठन आईएसआईएस से कथित संपर्क के आरोप में गिरफ्तार किए गए तीन युवक आतंकवादी और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप्प जैसे सोशल मीडिया मंच का इस्तेमाल कर रहे थे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी :एनआईए: ने आज इस संबंध में दाखिल किए गए आरोपपत्र में यह दावा किया।
आरोपपत्र में कहा गया है, आरोपियों की पहचान जम्मू-कश्मीर के गांदेरबल निवासी शेख अजरह-उल-इस्लाम, कर्नाटक के भटकल निवासी अदनान हसन :36: और महाराष्ट्र के मुम्बरा निवासी फरहान शेख के रूप में हुई है।
एजेंसी ने कहा कि इन आरोपियों को एनआईए ने 29 जनवरी को दिल्ली से गिरफ्तार किया। इन्हें आईएसआईएस की विचारधारा को बढ़ावा देने, दूसरों को संगठन में शामिल होने के लिए उकसाने, निम्बुज, गूगल टॉक, फेसबुक, व्हाट्सएप्प, स्काईप, व्कोंटाक्टे, किक, ट्विटर, हैंगआउट, स्नैपचैट, यू-ट्यूट, वाइबर, विकर, स्योरस्पॉट, गूगल ड्राइव और टेलीग्राम के जरिए आतंकवादी तथा राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के कथित आरोप में गिरफ्तार किया गया।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात से स्वदेश वापस भेजे जाने के बाद इन्हें इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया।
एजेंसी ने कहा, गिरफ्तारी के वक्त उनके कब्जे से जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में चार लैपटॉप, दो टैबलेट, सात मोबाइल फोन, पांच सिम कार्ड, तीन एसडी कार्ड, दो पेनड्राइव और कुछ आपत्तिजनक दस्तावेज मिले हैं।
एनआईए ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘‘ये आरोपी संयुक्त अरब अमीरात और अन्य देशों में मौजूद अपने सहयोगियों की मदद से आईएसआईएस की गतिविधियों में भाग लेने के लिए सीरिया जाने के इच्छुक लोगों के लिए धन प्राप्त करने, एकत्र करने और उन्हें बांटने में भी सक्रिय रूप से शामिल थे। इसके लिए वेस्टर्न यूनियन सहित अन्य बैंकों का इस्तेमाल करते थे।’
एनआईए ने कहा कि आरोपी इस धन को संयुक्त अरब अमीरात से ट्यूनीशिया, फिलीपीन और भारत भेजते थे। एजेंसी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘अदनान हसन ने हैदराबाद से भी आईएसआईएस के मॉड्यूल की वित्तीय सहायता की है। उसने दो बार भारत से भाग कर सीरिया जाने का भी प्रयास किया है, 2014 में कोलकाता से बांग्लादेश और अफगानिस्तान के रास्ते, जबकि वर्ष 2015 में नागपुर से श्रीनगर, जम्मू-कश्मीर कश्मीर के रास्ते।’’ उसमें कहा गया है, जांच में यह भी पता चला है कि ये लोग भारत, मिस्र, ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, हांगकांग, हंगरी, इंडोनशिया, जापान, केन्या, कुवैत, मलेशिया, मालदीव, मॉरिसस, मैक्सिको, नाइजीरिया, नीदरलैंड, पाकिस्तान, फिलीपीन, कतर, सर्बिया, सूडान, श्रीलंका, सउदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और यूनाइटेड किंगडम :ब्रिटेन: सहित अन्य देशों में आईएसआई के सदस्यों से जुड़े हुए थे। ये सदस्य सक्रिय रूप से आतंकवादी संगठन के लिए दुष्प्रचार कर रहे थे, उसे बढ़ावा दे रहे थे और लोगों को आईएसआईएस में शामिल होने के लिए उकसा रहे थे।
एनआईए ने कहा कि वर्ष 2014-15 के दौरान विभिन्न सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के जरिए समूहों में साझा किए जाने वाले उनके आपत्तिजनक चैट, पोस्ट, वीडियो, तस्वीरें और फेसबुक, व्हाट्सएप्प, किक, व्कोंटक्टे और ट्विटर पर उनके कमेंट जांच में साक्ष्य के रूप में शामिल किए गए हैं।
एजेंसी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के आदेश पर फरवरी में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की थी।
एजेंसी ने कहा, ‘‘ये आरोप एनआईए द्वारा अन्य मामलों में आरोपित किए गए आरोपियों के साथ करीबी संपर्क और सहयोग में थे। ये लोग अरीब मजीद, मोहम्मद सिराजुद्दीन, मोहम्मद नासीर और शफी अरमार के संपर्क में थे तथा करेन आएशा-अल-मुस्लीमा और मदमुल्ला सहित अन्य आईएसआईएस सदस्यों के ऑनलाइन संपर्क साझा किए थे।’’