राष्ट्रपति चुनाव पर बातचीत शुरूआती दौर में है, लेकिन इस चुनाव के लिए पार्टियों ने जोड़-तोड़ अभी से शुरू कर दी है। एक तरफ विपक्ष ने साझा उम्मीदवार खड़ा कर एकजुट होने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ पीएम मोदी और अमित शाह विपक्ष की इस रणनीति का तोड़ ढूंढने में जुटे हुए हैं।
सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्रीय पार्टियों की दिलचस्पी कांग्रेस की बजाय अपने बीच में से उम्मीदवार उतारने की है। हाल ही में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकापा) प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की और राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने पर चर्चा की। शरद पवार को शिवसेना का समर्थन भी मिल चुका है। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री व जनता दल युनाइटेड (जदयू) के अध्यक्ष नीतीश कुमार, जदयू नेता शरद यादव, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सीताराम येचुरी व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) नेता डी.राजा सभी ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। असल में यह सब बीते सप्ताह नीतीश कुमार की सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद शुरू हुआ। नीतीश कुमार ने सोनिया से राष्ट्रपति चुनाव के लिए सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुनने की बात कही।
उधर बीजेपी भी विपक्ष को झटका देने के लिए कुछ नया तरीका अपना सकती है। पार्टी के एक नेता यह भी कह रहे हैं कि मोदी अपने उम्मीदवार से विपक्ष को चौंका भी सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव में सर्वसम्मति से उम्मीदवार चुने जाने के सवाल पर एक प्रभावशाली बीजेपी नेता ने कहा, ‘अगर विपक्ष अपना उम्मीदवार खड़ा करता है तो हमारे पास चुनाव लड़कर जीतने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष सर्वसम्मति का आदर करता है तो हम इसका स्वागत करेंगे।
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘मोदी की चौंका देने की क्षमता को कम मत आंकिए। हो सकता है कि वह ऐसा उम्मीदवार सामने ले आएं जिससे विपक्ष के नेता बैकफुट पर जाने को मजबूर हो जाएं और चुनाव लड़ना उन्हें राजनीतिक तौर पर भारी पड़ जाए।’
हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक चुनाव की तारीखों का ऐलान तक नहीं किया है, पर विपक्षी दलों के बीच अपना उम्मीदवार फाइनल करने की कवायद काफी तेज नजर आ रही है। राष्ट्रपति चुनाव 25 जुलाई से पहले होने हैं। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का 25 जुलाई को कार्यकाल खत्म हो रहा है।
ऐसे हुए हाल में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव
साल 2002 में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने एपीजी अब्दुल कलाम को सर्वसम्मति से उम्मीदवार बनाया था। उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने खुद कलाम के लिए नामांकन पत्र का एक-एक सेट दाखिल किया था। सिर्फ वामपंथी दलों ने अपना अलग उम्मीदवार खड़ा किया था।
साल 2007 में जब यूपीए ने प्रतिभा पाटिल का नाम राष्ट्रपति चुनाव के लिए आगे किया तो तत्कालीन उपराष्ट्रपति और बीजेपी के वरिष्ठ नेता बीएस शेखावत ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। ऐसे में बीजेपी को चुनाव का रास्ता अख्तियार करना पड़ा।
साल 2012 में प्रणब मुखर्जी का नाम तय करने से पहले यूपीए को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने विपक्ष के नेताओं से सर्वसम्मति से चुनाव के लिए समर्थन मांगा, लेकिन ममता और मुलायम इसके लिए राजी नहीं थे। उधर एक हफ्ते बाद बीजेपी की मदद से पीए संगमा भी चुनाव में कूद पड़े थे।