श्रीनगर : सीआरपीएफ जवानों ने बांदीपोरा के संबल कैंप पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में सफलता हासिल की, इसके बाद से ही जवानों की बहादुरी के चर्चे हैं। इस आतंकी हमले को नाकाम करने में कई फैक्टर काम आए। ऐसा ही एक फैक्टर था कमांडेंट इकबाल अहमद का रोजा रखना। कमांडेंट इकबाल के पास 45 सीआरपीएफ बटालियन की कमांड थी। बहादुर जवान चेतन चीता को गोली लगने के बाद इकबाल को कमांड मिली थी।
अचानक उनका वायरलेस बज उठा। वायरलेस पर उनको जानकारी मिली कि कैंप पर आतंकी हमला हो गया है। सहरी छोड़ वह अपनी असॉल्ट राइफल लेकर नजदीकी कैंप की ओर भागे। वहां लश्कर-ए-तैयबा के 4 आतंकी कैंप पर हमले को अंजाम दे रहे थे।
हमले की सूचना मिलते ही त्वरित प्रतिक्रिया और तत्काल पहुंची मदद ने आतंकियों को नाकाम कर दिया। हमला नाकाम होने की वजह से कई जवानों की जिंदगियां बचाई जा सकीं। जिस समय कमांडेंट इकबाल को वायरलेस पर सूचना मिली वह संबल कैंप से करीब 200-300 मीटर की दूरी पर थे। रमजान के दौरान रोजा रखे अफसर इकबाल मौके पर तुरंत पहुंचे और तबतक रुके रहे जबतक चारों आतंकियों को मार नहीं गिराया गया।
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संबल कैंप पर हुए आतंकी हमले को नाकाम करने में दो कुत्तों की भी भूमिका रही। अक्सर सीआरपीएफ के जवान इन दोनों कुत्तों को खिलाते-पिलाते रहते थे। हमले से ठीक पहले ये दोनों कुत्ते लगातार भौंक रहे थे। सीआरपीएफ जवानों को इस वजह से घुसपैठियों की मौजूदगी की आशंका पहले ही हो गई। सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुत्तों ने कई लोगों की जिंदगी बचा दी।