खुश हो जाइये: टीवी, एसी, फ्रिज पर मिलने वाली बम्पर छूट, जानिए आपको क्या करना होगा

0
छूट

जो लोग टीवी, फ्रिज, एसी और वॉशिंग मशीन खरीदने जा रहे हैं, उन्हें दिवाली से पहले ही बंपर छूट मिल सकती है। इलेक्ट्रॉनिक गुड्स रिटेलर इन प्रॉडक्ट्स को 20-40 पर्सेंट कम कीमत पर बेच रहे हैं क्योंकि वे गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने से पहले पुराना स्टॉक क्लियर करना चाहते हैं। वे पुराने स्टॉक पर अधिक टैक्स की वजह से लॉस से बचने के लिए यह कदम उठा रहे हैं। सरकार ने 1 जुलाई से जीएसटी को लागू करने का ऐलान किया है। सामान की कीमत और उसकी लाइफ के हिसाब से यह डिस्काउंट दिया जा रहा है। रिटेलरों का कहना है कि मई से पहले खरीदे गए और नहीं बिकने वाले सामान पर उन्हें 6 पर्सेंट और साल भर पुराने सामान पर 14 पर्सेंट का लॉस होगा, जिनके लिए इनपुट क्रेडिट नहीं लिया गया है। जीएसटी काउंसिल की 3 जून की पिछली मीटिंग में एक्साइज क्रेडिट को 40 पर्सेंट से बढ़ाकर 60 पर्सेंट करने के बावजूद यह नुकसान होगा। आमतौर पर रिटेलर्स मैक्सिमम रिटेल प्राइस (एमआरपी) पर 10-15 पर्सेंट की छूट देते हैं, जो अब करीब तीन गुना बढ़ जाएगी।

इसे भी पढ़िए :  पेप्सी,कोक ने कहा झूठ बोल रही है सरकार

सैमसंग, पैनासोनिक, हिताची और विडियोकॉन जैसे ब्रांड्स भी सेल्स बढ़ाने के लिए गिफ्ट से लेकर एक्सटेंडेड वॉरंटी जैसे ऑफर दे रहे हैं। वहीं, डिस्ट्रिब्यूटर्स ने अभी वाला स्टॉक क्लियर होने तक नया माल उठाना बंद कर दिया है। यह जानकारी इंडस्ट्री के दो सीनियर एग्जिक्युटिव्स ने दी है।

पूर्वी भारत के सबसे बड़े वाइट गुड्स रिटेलर में से एक ग्रेट ईस्टर्न के डायरेक्टर पुलकित बैद्य ने कहा, ‘यह कंज्यूमर्स के लिए जून में दिवाली जैसा माहौल होगा। जीएसटी लागू होने से पहले ज्यादातर रिटेलर्स पुराना स्टॉक निकालने के लिए भारी डिस्काउंट देंगे। दरअसल, बचे हुए सामान पर रिटेलर्स को 40 पर्सेंट सेंट्रल जीएसटी का बोझ उठाना होगा, जो उन्हें क्रेडिट नहीं किया जाएगा।’ विजय सेल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश गुप्ता ने कहा कि हर रिटेलर जुलाई तक कम से कम स्टॉक चाहता है। उन्होंने बताया, ‘हम छूट देकर स्टॉक क्लियर कर रहे हैं, लेकिन हमें इस पर भी नुकसान हो रहा है। इस साल जून में डिस्काउंट की वजह से जुलाई महीने में सेल्स कमजोर रहेगी।’ इंडस्ट्री एग्जिक्युटिव का कहना है कि कुछ बड़ी कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक रिटेल चेन में से प्रत्येक के पास 100 करोड़ रुपये की इनवेंटरी पड़ी है। वहीं, कंपनियों ने सिर्फ मई और जून में खरीदे गए सामान के लिए कॉम्पेंसेशन स्कीम पेश की है। इससे इन रिटेलर्स को चोट पड़ी है। इन रिटेलरों के पास पड़े माल में शॉप फ्लोर पर डिस्प्ले के लिए रखे गए प्रॉडक्ट्स भी हैं, जिनमें से कई साल भर पुराने होते हैं और आखिर में उन्हें कस्टमर्स को बेचा जाता है।

इसे भी पढ़िए :  अब आम आदमी हेलिकॉप्टर से कर सकेगा दिल्ली के दर्शन, कब और कैसे? जानने के लिए पढ़ें ये खबर

जीएसटी काउंसिल ने शनिवार को पिछली मीटिंग में 18 पर्सेंट जीएसटी स्लैब वाले प्रॉडक्ट्स पर डीम्ड क्रेडिट को बढ़ाकर 60 पर्सेंट करने का फैसला किया था। पहले इसे 40 पर्सेंट रखा गया था। हालांकि, टीवी, किचन अप्लायंस और छोटे अप्लायंस 28 पर्सेंट वाले जीएसटी स्लैब में आते हैं। काउंसिल ने 25,000 रुपये से अधिक कीमत वाले सामान पर 100 पर्सेंट क्रेडिट का प्रस्ताव रखा है। यह ट्रैकिंग के आधार पर दिया जाएगा। इसके लिए ड्यूटी चुकाने के दस्तावेज पेश नहीं करने होंगे। हालांकि, इंडस्ट्री ट्रैकिंग की परिभाषा स्पष्ट किए जाने का इंतजार कर रही है। वह जानना चाहती है कि क्या यह एमआरपी पर होगा, बेस प्राइस पर या ऑपरेटिंग प्राइस पर।

इसे भी पढ़िए :  हवाई सफर होगा आसान, तीन साल में 50 सस्ते हवाई अड्डों को शुरू करेगी सरकार