वाशिंगटन : राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने के छह महीने के भीतर ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को गंभीर आरोपों को लेकर न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। भारत में जन्मे पूर्व संघीय अधिवक्ता प्रीत भरारा ने कहा है कि न्यायिक मामले में बाधा पहुंचाने का मुकदमा चलाने के लिए ट्रंप के खिलाफ पर्याप्त सुबूत हैं। ट्रंप पर रूस को लेकर चल रही जांच को प्रभावित करने का मामला बनता है।
भरारा ने कहा, उनको हटाने से पहले उन्हें भी ट्रंप प्रशासन ने प्रभाव में लेने की कोशिश की थी लेकिन जब वह तैयार नहीं हुए तो उन्हें संघीय अधिवक्ता पद से हटा दिया गया। वह कुछ वैसे ही किया गया जैसे कि एफबीआइ निदेशक पद से जेम्म कोमी के साथ हुआ। विदित हो कि भरारा और 44 अन्य संघीय अधिवक्ताओं को एक साथ इस्तीफा देने के लिए ट्रंप प्रशासन ने कहा था। भरारा का यह बयान कोमी के उस वक्तव्य के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि ट्रंप ने 2016 के अमेरिकी चुनाव को प्रभावित करने की रूसी कोशिश की जांच में हस्तक्षेप किया। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकेल फ्लिन को जांच से निकालने के लिए कहा। इस मामले में डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद चक सूमर ने ट्रंप से संसद में बयान देने की मांग की है। कहा कि ट्रंप ने राष्ट्रहित में सत्य बोलने की शपथ ली है, इसलिए कोमी से अपने संबंध के बारे में देश को बताएं।