चीन-भारत सीमा पर शहीद पायलट के पिता ने पीएम को लिखी चिट्ठी, की ये मांग

0
मोदी
फाइल फोटो

पिछले महीने भारत-चीन सीमा पर एक हादसे में शहीद होने वाले सुखोई विमान के पायलट एस अचुदेव के पिता ने पीएम नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने चिट्ठी में हादसे की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। शहीद के पिता ने पीएम और वायु सेना प्रमुख बिरेंद्र सिंह धनोवा को लिखे पत्र में बेटे को संदिग्ध बताया है।

 

फ्लाइट लेफ्टिनेंट अचुदेव और स्क्वॉड्रन लीडर डी पंकज का सुखोई विमान 23 मई को भारत-चीन सीमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। हादसे के 3 दिन बाद विमान का मलबा मिला था। इसके बाद दोनों शहीदों का पार्थिव शरीर उनके घर भिजवाया गय। अचुदेव के पिता और पूर्व इसरोकर्मी वीपी साहदेवन ने पत्र में लिखा है कि उनके घर पहुंचे ताबूत में उनके बेटे का शव नहीं था। साहदेवन ने अधिकारियों के बयान पर संदेह जताते हुए लिखा कि उन्हें बताया गया था कि बुरी तरह से जलने के कारण उनके बेटे के शव की पहचान मुश्किल है। सेना को उसका पर्स मिला है जिसके आधार पर अचु की पहचान की गई।

इसे भी पढ़िए :  गोधरा कांड में उच्च न्यायालय ने सात लोगों को उम्रकैद की सजा सुनायी

 

 

वहीं साहदेवन कहते हैं कि पर्स को नुकसान नहीं हुआ यह बात स्वीकार करना मुश्किल है। उन्होंने कहा कि बेटे के पर्स में मौजूद पैसे और बैंक के कार्ड सही सलामत हैं। साहदेवन ने बताया कि मौत के बताए गए कारणों में पर्याप्त सबूत और तथ्यों की कमी दिखती है, इसके पीछे की कहानी कुछ और नजर आ रही है।

इसे भी पढ़िए :  गड़बड़ी करने वाले बैंक अफसरों पर वित्त मंत्रालय की गाज, 27 बड़े अफसर सस्पेंड, 6 का ट्रांसफर

 

 

उन्होंने कहा, ‘बिना तथ्यों के इस बात को मानना मुश्किल है कि उनके बेटे की मौत हो चुकी है।’ वायुसेना ने इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वॉयरी के आदेश दिए हैं, लेकिन अचुदेव के पिता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वायुसेना प्रमुख बीरेंद्र सिंह धनोआ को पत्र लिखकर इस हादसे की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

इसे भी पढ़िए :  पीएम नरेंद्र मोदी की हवाई यात्राओं के खर्च के ब्योरे को सार्वजनिक करने की याचिका पर सुनवाई करेगा सीआईसी

 

 

बता दें कि सुखोई 30 जेट विमान को लेकर 2 पायलट वायुसेना के तेजपुर हवाई अड्डे से 23 मई को सुबह 9.30 बजे एक मिशन पर रवाना हुए थे। करीब 11.10 बजे विमान का संपर्क राडार से टूट गया। विमान उस वक्त अरुणाचल प्रदेश में भारत चीन सीमा के पास स्थित दौलासांग क्षेत्र में था।

Source: NBT