मोदी सरकार इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कम्यूनिकेशन(आईआईएमसी) समेत 42 संस्थानों की स्वायत्ता समाप्त करने की योजना बना रही है। साथ ही केंद्र सरकार तीन प्रमुख संस्थानों फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एफटीआईआई), सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट (एसआरएफटीआई) और दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी का “कार्पोरेटाइजेशन” करने का भी सोच रही है। केंद्र सरकार देश के 679 स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा के पहले चरण में ये फैसले लिए हैं।
कहा जा रहा है कि सरकार आईआईएमसी की स्वायत्ता खत्म करके जवाहरलाल नेहरु या जामिया मिल्लिया इस्लामिया में विलय करना चाहती है। केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में सोसाइटीज ऑफ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत बनाए गए स्वायत्तशासी संस्थानों की समीक्षा शुरू की थी। इस समीक्षा के पहले चरण में सात मंत्रालयों/विभागों के तहत आने वाले 114 संस्थानों की समीक्षा की गई। समीक्षा के अंत में फैसला लिया गया कि इनमें से 42 को या तो पूरी तरह बंद करके या दूसरे संस्थानों में विलय कराके या कई संस्थानों का समुच्चय बनाकर या कार्पोरेटाइजेशन करके उनकी स्वायत्तता “खत्म” की जाएगी।
इस समीक्षा का नेतृत्व नीति आयोग और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के अधिकारी कर रहे हैं। पहले चरण में उन मंत्रालयों या विभागों को समीक्षा के लिए चुना गया जिनके तहत ज्यादा संख्या में केंद्र सरकार से आर्थिक मदद पाने वाले स्वायत्तशासी संस्थान हैं। पीएमओ के अधिकारियों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि जिन तीन संस्थानों का “कॉर्पोरेटाइजेशन” किया जाएगा वो अधिग्रहण के बाद स्वतंत्र कंपनी या अ स्पेशल पर्पज वेहिकल (एसपीवी) के रूप में काम करेंगे।
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