एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार महाराष्ट्र के मराठवाड़ा में सर्वाधिक किसानों ने आत्महत्या की है। इस रिपोर्ट के अनुसार इस साल अभी तक अकेले मराठवाड़ा में ही 580 किसानों ने आत्महत्या की है। इसके बाद औरंगाबाद में 79, जालना में 53, परभणी में 73, हिंगोली में 33, नांदेड़ में 93, बीड़ में 115, लातूर में 56 और उस्मानाबाद में 78 किसानों ने आत्महत्या की।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सूखे से बेहाल मराठवाड़ा में औसतन रोज दो से तीन किसान आत्महत्या कर रहे है। हालांकि रिपोर्ट में आत्महत्या की कोई वजह नहीं बतायी गयी है लेकिन आत्महत्या के बाद मुआवजे के लिए योग्य और अयोग्य किसानों की सूची जारी कर दी गई है। आत्महत्या करने वाले 580 किसानों में से 400 को मुआवजे के योग्य बताया गया है जबकि 100 को अयोग्य ठहराया गया है। 80 मामलो की जांच अभी चल रही है।
मराठवाड़ा में इस साल भी बारिश नहीं के बराबर हुई है जिससे वहां के कई जिलों में किसानों की पहली बुआई बारिश नहीं होने के कारण बर्बाद हो गई है। मराठवाड़ा पिछले पांच सालों से सूखे की चपेट में है लेकिन राज्य सरकार अभी तक सिंचाई के लिए कोई भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बना पाई है।
राज्य में किसानों के आंदोलन के बाद राज्य सरकार ने डेढ़ लाख रुपये तक की कर्जमाफी की घोषणा तो की है लेकिन अभी तक उसकी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। जिससे किसी भी किसान को लाभ नहीं मिल पाया है।