टोल ऑपरेट ऐंड ट्रांसफर (TOT) मॉडल में पेंशन फंड्स और पीई फर्म्स को एकमुश्त पेमेंट करके सरकार के मालिकाना हक वाले राष्ट्रीय राजमार्गों को 30 साल के लिए लीज पर लेने का सुनहरा मौका मिलने वाला है। कन्सेशन पीरियड के दौरान फंड और उसके ऑपरेशंस ऐंड मेंटेनेंस पार्टनर को लीज वाले हाइवे पर टोल वसूल करने और उन्हें मेंटेन करने की इजाजत होगी। नैशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) टोल कलेक्शन में तेज गिरावट आने या हाइवे में कोई बुनियादी या इंजिनियरिंग फॉल्ट निकलने जैसी अप्रत्याशित घटनाओं से रिस्क कवर मुहैया करा सकता है।
सरकारी पैसों से बने राष्ट्रीय राजमार्गों को मॉनिटाइज करने के लिए बनाई गई योजना पर अगले महीने से काम शुरू होने वाली है। इस योजना के तहत सरकार 11 हाइवे के लिए बोली मंगवाने वाली है। इनको लीज पर देने से रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री को 6500 करोड़ रुपये की रकम मिलने की उम्मीद है। इन 11 हाइवे में 4 गुजरात और 7 आंध्र प्रदेश के हैं और इनकी कुल लंबाई 700 किलोमीटर से थोड़ी कम है। इन हाइवे को रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवेज मिनिस्ट्री टोल ऑपरेट ऐंड ट्रांसफर (TOT) मॉडल के हिसाब से नीलाम किया जाएगा।
एक सरकारी सूत्र ने बताया कि बिडर्स में टेमसेक होल्डिंग्स और सिंगापुर के जीआईसी जैसे कई इंटरनैशनल फंड, जेपी मॉर्गन ऐसेट मैनेजमेंट और अबूधाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (ADIA) हो सकते हैं। बोली सितंबर के मध्य में शुरू होगी ।
सरकार का दावा है कि निवेशकों को शानदार रिटर्न मिल सकता है, क्योंकि देशभर में टोल कलेक्शन सालाना 7-8 पर्सेंट की रेंज में बढ़ रहा है। जहां तक ट्रैफिक की बात है तो इसमें सालाना 10 पर्सेंट रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही है। इसी महीने रोड ट्रांसपोर्ट ऐंड हाइवे मिनिस्टर नितिन गडकरी ने लोकसभा को बताया था कि एडीआईए, सिंगापुर के सॉवरन वेल्थ फंड जीआईसी, सिंगापुर की निवेश कंपनी टेमसेक होल्डिंग्स, हेस्टिंग्स फंड्स मैनेजमेंट, मॉर्गन स्टेनली इन्फ्रास्ट्रक्चर, इक्विरस कैपिटल, जेपी मॉर्गन ऐसेट मैनेजमेंट सहित कई विदेशी निवेशक TOT मॉडल के तहत इंडिया में निवेश करने को आतुर है।