प्रोड्यूसर प्रकाश को लिखे एक पत्र में बोर्ड ने कहा था, ‘इस फिल्म की कहानी महिला प्रधान है और उनकी फैंटसी काफी अधिक है, इसमें लगातार कई सेक्शुअल सीन हैं, अश्लील भाषाओं का इस्तेमाल और ऑडियो पॉर्नोग्रफी है। यह फिल्म समाज के एक खास वर्ग की भावनाओं का आहत करती है, इसलिए फिल्म को अस्वीकार किया जा रहा है।’
फिल्म में कोंकणा सेन शर्मा, रत्ना पाठक लीड रोल में हैं। यह फिल्म पिछले साल सबसे पहले मामी फिल्म फेस्टिवल में दिखाई गई, जिसे ‘स्पिरिट ऑफ एशिया अवॉर्ड’ और ‘ऑक्सफेम अवॉर्ड’ से नवाजा गया। बोर्ड से नकारे जाने के बाद फिल्म निर्देशक अलंकृता श्रीवास्तव और निर्माता प्रकाश झा ने एफसीएटी में अपील दाखिल की थी।
दिल्ली के पूर्व लोकायुक्त न्यायमूर्ति मनमोहन सरीन की अध्यक्षता वाले एफसीएटी ने कहा कि सीबीएफसी ने महिला-केंद्रित फिल्म को प्रमाणपत्र नहीं देकर गलत दिशा में खुद को बढ़ाया है। फिल्म को ए सर्टिफिकेट देकर रिलीज किया जाना चाहिए।