कॉन्टॅवर्शल फिल्म ‘लिपस्टिक अंडर माय बुर्का’ का आखिरकार देश में रिलीज होने का रास्ता साफ हो गया है। द फिल्म सर्टिफिकेशन अपेलेट ट्रिब्यूनल (FCAT एफसीएटी) की ओर से सेंसर बोर्ड को कुछ सेक्स सीन को कट करके फिलेम को ‘ए’ सर्टिफिकेट देने का निर्देश दिया है।
FCAT ने पाया कि सेंसर बोर्ड का इस फिल्म को महिला-प्रधान फिल्म बताकर सर्टिफिकेट देने से इनकार करना एक गलत फैसला था। इसके साथ ही इस विवाद को भी खारिज कर दिया गया कि इस फिल्म में महिलाओं को गलत तरह से दिखाया गया है और एक खास समुदाय की महिलाओं पर निशाना साधा गया है।
अपने आदेश में FCAT ने कहा है, ‘किसी फिल्म पर किसी तरह का प्रतिबंध नहीं हो सकता, फिर चाहे वह महिला प्रधान हो या उसमें सेक्शुअल फैंटसीज़ है या फिर महिलाओं की आंतरिक इच्छा के जतावे वाले एक्प्रेशन हों।’ यह फिल्म उन चार महिलाओं की कहानी है, जो बंदिशों और दवाब की बेड़ियों को तोड़कर एक आजाद ज़िंदगी जीने की ख्वाहिश रखती हैं।
सेंसर बोर्ड (CBFC) अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने फिल्म को फरवरी में सर्टिफिकेट देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि यह फिल्म ‘महिला प्रधान’ है और इसमें ऑडियो पॉर्नोग्रफ़ी (गंदी भाषा का इस्तेमाल) है।
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