अटपटी बातों को अपने चटपटे अंदाज में कहना किशोर कुमार का फितूर था। खासकर गीतों की पंक्ति को दाएं से बाएं गाने में उन्होंने महारत हासिल कर ली थी। नाम पूछने पर कहते थे- रशोकि रमाकु। किशोर कुमार अपने भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता कुंजीलाल खंडवा के बहुत बड़े वकील थे। किशोर कुमार को अपनी जन्मभूमि से काफी लगाव था। वह जब किसी सार्वजनिक मंच पर या किसी समारोह में अपना कार्यक्रम प्रस्तुत करते तो शान से खंडवा का नाम लेते।अपनी जन्मभूमि और मातृभूमि के प्रति ऐसा जज्बा कम लोगों में देखने को मिलता है।