कश्मीर के अलग-अलग इलाकों में स्थित सैन्य शिविरों पर घाटी में छिपे करीब 250 आतंकियों का खतरा मंडरा रहा है। कश्मीर हिंसा के कारण सेना और सुरक्षा बलों का सर्च आपरेशन बाधित हुआ और ढाई महीने में आतंकियों ने अपने पैर पसार लिए हैं।
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अमर उजाला की खबर के मुताबिक उड़ी के बाद बारामुला में फिदायीन हमले ने सैन्य शिविरों पर भावी खतरों की ओर भी इशारा किया है। सेना और सुरक्षा बल अलर्ट पर हैं, लेकिन, घुसपैठ की कोशिशें अब भी तेज हैं। पीओके में सेना के सर्जिकल आपरेशन के बाद एलओसी और बार्डर पर सेना और बीएसएफ की गश्त तेज है।
घुसपैठ की कोशिशों पर सेटेलाइट और ड्रोन से निगरानी की जा रही है। इससे घुसपैठ में कमी आई है। लश्कर-ए तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन घाटी में पहले से मौजूद आतंकियों से हमले को अंजाम दिलवाने की कोशिश कर रहे हैं।
































































