अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विवादित ढांचा गिराए जाने के मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 13 लोगों के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप हटाने के आदेश का सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा। अब इस मामले में सुनवाई आज होगी। इससे पहले 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई दो हफ्ते के लिए टाल दी थी।
जस्टिस पीसी घोष और आरएफ नारीमन की पीठ ने इस साल 6 मार्च को हुई सुनवाई में कहा था कि तकनीकी आधार पर 13 व्यक्तियों को आरोपमुक्त किया गया था। वे तकनीकी आधार पर आरोपमुक्त करना स्वीकार नहीं करेंगे और पूरक आरोपपत्र की अनुमति देंगे।
पीठ ने कहा था, दोनों मुकदमों को क्यों नहीं एक साथ कर देते और इनकी संयुक्त रूप से सुनवाई करवाएं। इस पर बचाव पक्ष के वकील ने आपत्ति जताई।
पहला मामला विवादित ढांचा गिराए जाने मामले में भाजपा नेताओं सहित 13 व्यक्तियों को आपराधिक साजिश के आरोप से मुक्त कर दिया गया था। इसकी सुनवाई रायबरेली की विशेष अदालत में हो रही है।
दूसरा मामला अज्ञात कारसेवकों के खिलाफ है जो विवादित ढांचे के ईद-गिर्द थे। इस मुकदमे की सुनवाई लखनऊ में हो रही है। मालूम हो कि विवादित ढांचा गिराने के मामले में भाजपा नेता आडवाणी, जोशी और 19 अन्य के खिलाफ साजिश के आरोप खत्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2010 के आदेश के खिलाफ सीबीआई ने अपील दायर की थी।
साजिश रचने का आरोप
दरअसल लालकृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, मुरली मनोहर जोशी और भाजपा, विहिप के अन्य नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। इन अपीलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 20 मई 2010 के आदेश को खारिज करने का आग्रह किया गया है। हाईकोर्ट ने विशेष अदालत के फैसले की पुष्टि करते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश) हटा दिया था। पिछले साल सितंबर में सीबीआई ने शीर्ष अदालत से कहा था कि उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया किसी से भी प्रभावित नहीं होती और वरिष्ठ भाजपा नेताओं पर से आपराधिक साजिश रचने के आरोप हटाने की कार्रवाई सीबीआई के कहने पर नहीं हुई।