कैग की रिपोर्ट में भी हुआ था खुलासा: चीन और पाक सीमा पर तैनात जवानों को मिलता है खराब खाना

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कैग
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सीमा पर तैनात सैनिकों के खान-पान पर सीएजी यानी कैग ने पिछले साल रिपोर्ट दी थी। इसमें कहा गया था कि पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात जवानों को ना तो ताजा खाना मिलता है और ना ही जरूरत के हिसाब से मिलता है। कैग की रिपोर्ट संसद में भी पेश की गई थी।

सीएजी की रिपोर्ट में सच 

  • सेना के सर्वे में खुलासा हुआ कि 68 फीसदी जवान खाने से संतोषजनक हैं या फिर उस खाने को निम्न स्तर का मानते हैं। सैनिकों को निम्न -गुणवत्ता का मांस और सब्जी खाने को दी जाती है। राशन की मात्रा भी कम होती है। और तो और राशन स्वाद के अनुसार भी नहीं मिलता। कैग ने पिछले साल जो रिपोर्ट दी थी उसमें इन तमाम बातों का जिक्र किया गया था।
  • राशन और गुणवत्ता की सबसे ज्यादा कमी उत्तरी और पूर्वी कमांड में है। यानी पाक और लद्दाक से सटी चीन सीमा और अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से सटी सीमा पर।
  • सेना मुख्यालय द्वारा तैयार राशन एस्टीमेट को रक्षा मंत्रालय ने 23 फीसदी तक कम किया। जबकि सेना ने फील्ड में तैनात बटालियन की जरूरत का एस्टीमेट बनाया था।
  • सेना के कमांड मुख्यालय और डायरेक्टर जनरल ऑफ सप्लाइ एंड ट्रांसपोर्ट यानी DGST के आंकड़ों में काफी अंतर है।जैसे कमांड मुख्यालयों ने 2014-15 में 46 हजार मीट्रिक टन दाल की मांग की थी।  DGST ने उसे घटाकर 37  हजार मीट्रिक टन कर दिया।
  • साल 2010 की रिपोर्ट में भी सैनिकों को निम्न स्तर का खाना दिए जाने का जिक्र किया गया था। 2013 में संसद की पीएसी ने रक्षा मंत्रालय को 15 प्रस्ताव दिए थे। जबकि मंत्रालय ने इनमें से सिर्फ दो प्रस्तावों को माना था।
  • साल 2014 में रक्षा मंत्रालय ने सेना के राशन के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू करने की बात मानी। पर चीनी को छोड़कर किसी भी राशन के लिए टेंडर नहीं निकला।
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