भेदभाव से तंग होकर दलित बने ईसाई, लेकिन जारी है यहां भी इनके साथ छुआछुत

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इस कस्बे के पास ही पंडोरी गांव में रहने वाले पास्टर यूसुफ़ मसीह बताते हैं कि उनके और बाकी मिशनरी लोगों के बारे में ईसाई मिशन वालों ने अब तक पूछा भी नहीं है। वे प्रभु ईशु पर विश्वास करते हैं और उनकी ही भक्ति में लगे हुए हैं।

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इसी गांव में रहने वालीं बलवीर कौर ख़ुद को तक़रीबन 40 साल से ईसाई मिशन से जुड़ा हुआ बताती हैं। उनका दावा है कि वे अपने गांव के ही लगभग 15 दलित परिवारों को अपने साथ जोड़ चुकी हैं.

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बलवीर कहती हैं, “हम लोगों ने भी मिशन के लिए बहुत काम किया है। लेकिन हमें कोई सहूलियत नहीं दी गई। आलम यह है कि मिशन में जुड़े ज्यादातर लोगों के लिए अब अपने परिवारों का पालन पोषण भी मुश्किल हो गया है।”

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