ऐसा पहली बार है जब कोई गैर पारसी टाटा ग्रुप का चेयरमैन बना है। चंद्रशेखरन में सबसे खास बात है कि वे जो एक बार ठान लेते हैं उसे पूरा करके दिखाते हैं। टीसीएस (TCS) के प्रमुख एन. चंद्रशेखरन को टाटा समूह का चेयरपर्सन बनाए जाने पर इंफोसिस और विप्रो के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEO) ने उन्हें बधाई दी है। गौरतलब है कि इंफोसिस और विप्रो दोनों ही सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में टीसीएस की प्रतिस्पर्धी कंपनियां हैं।
कौन हैं चंद्रशेखरन ?
नटराजन चंद्रशेखर का जन्म तमिलनाडु के नम्क्कल के पास मोहनूर में एक तमिल परिवार में हुआ था। फिलहाल वो मुंबई में अपनी पत्नी ललिता और पुत्र प्रणव के साथ रहते हैं। नटराजन चंद्रशेखर एक अच्छे फोटोग्राफर और लॉन्ग डिस्टेंस रनर भी हैं। इन्होंनें मुंबई, टोक्यो, न्यूयॉर्क, बर्लिन, शिकागो और बोस्टन समेत कई जगहों पर मैराथन में हिस्सा लिया है।
किसी भी कंपनी को और क्या चाहिए होता है कि उस संस्था का नेतृत्व करने वाला तेज दिमाग और सही वक्त पर सही फैसला लेने वाला हो। शायद यही वह खूबी है, जिसने टीसीएस जैसी दिग्गज कंपनी के एक गुमनाम एंप्लॉयीज से उन्हें पहले उसका चेयरमैन बनाया।
चंद्रा ने 1986 में त्रिची के रीजनल इंजिनियरिंग कॉलेज से कंप्यूटर ऐप्लिकेशंस में मास्टर्स डिग्री ली। चंद्रा ने अपना कॉलेज प्रॉजेक्ट वर्क टीसीएस में किया और दो महीने बाद ही उन्हें कंपनी से जॉब ऑफर मिल गया था। शायद वह किसी आईटी कंपनी की कैंपस हायरिंग के सबसे सफल कैंडिडेट हैं।
चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टीसीएस ने की बंपर कमाई
चंद्रशेखरन क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज, त्रिची, तमिलनाडु से कंप्यूटर एप्लिकेशंस में मास्टर्स करने के बाद टीसीएस से जुड़े थे। उनके नेतृत्व में टीसीएस ने 2015-16 16.5 अरब डालर की कमाई की। टीसीएस 2015-16 में देश की सबसे मूल्यवान कंपनी कंपनी बनी और इसका बाजार पूंजीकरण 70 अरब डॉलर से अधिक रहा। सबसे खास बात ये है कि चंद्रशेखरन ने 30 साल पहले टीसीएस के साथ नौकरी शुरू की थी। और पिछले 30 साल से ये इसी ग्रुप के साथ जुड़े रहे। 30 साल में उन्होंने एक बार भी ना नौकरी बदली और ना ही कंपनी छोड़ी।
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