हाल ए दास्तां गुजरात के दलितों की, मंदिर तो बनवा दिया लेकिन पूजा-अर्चना नहीं कर सकते

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गुजरात में दलितों का क्या हाल है उसका अंदाजा आपको इस बात से लग सकता है कि एक दलित परिवार ने 10 लाख रूपए खर्च कर मंदिर बनवा तो दिया है लेकिन उसमें वो खुद भगवान की पूजा अर्चना नहीं कर सकता है। कारण कि वो दलित है और भगवान दलितों के स्पर्श मात्र से अशुद्ध हो जाएंगे। हालांकि वो मंदिर शुद्ध है जिसे एक दलित ने अपने पैसे से बनवाया है। यह घटना के गुजरात के अहमदाबाद शहर के एक गांव रहमलपुर की। इस गांव की सरपंच पिंटूबेन ने अपनी कमाई के 10 लाख रूपए लगाकर गांव में भव्य शिवमंदिर का निर्माण करवाया। लेकिन सरपंच का यह परिवार जाति के पायदान में नीचे होने की वजह से इस खुद के बनवाए हुए शिवमंदिर में पूजा नहीं कर सकता है। संविधान उसे भले गांव का सरपंच बना दिया हो लेकिन समाज ने आज भी उसे ‘नीच’ ही बना रखा है।
जब एक पत्रकार ने पिंटूबेन से पूछा, ‘आप मंदिर पर इतना खर्च कर रही हैं। आपका अंदर जाकर पूजा नहीं करना चाहतीं?’ इस पर वह बोलीं, ‘बिल्कुल चाहती हूं। लेकिन लोग इसके खिलाफ हैं। हंगामा हो सकता है। सौ लोगों में कोई तो कह ही देगा कि मेरे आने से मंदिर अशुद्ध हो गया, भगवान अशुद्ध हो गए।’
कहने को प्रधानमंत्री मोदी का यह गृह राज्य विकसित है और इसका बहुप्रचारित गुजरात मॉडल की तो पूरे विश्व में चर्चा है। लेकिन यहां ऐसा कौन सा विकास मुख्यमंत्री के पद पर रहते हुए मोदी साहब ने किया है कि आज भी दलितों की स्थिति 50 साल पहले वाली ही है।

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