नोटबंदी का असर ये हुआ कि पिछले नौ दिनों से देश के हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। सरकार के लाख दावों के बावजूद न बैंकों से भीड़ कम हुई, और ना ही लोगों की तकलीफें कम हुईं। हां इतना जरूर हैं कि नेताओं को अपनी छवी चमकाने का एक सुनहरा मौका मिल गया है। इन नौ दिनों में सियासत अपने शबाब पर पहुंच चुकी है।
आज हम आपको बता रहे हैं कि नोटबंदी के बाद पिछले नौ दिनों में देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था पर कितना असर पड़ा। सबसे पहले बात करते हैं अर्थिक असर की –
नोटबंदी का आर्थिक असर – इसमें कोई दो राय नहीं है कि नोटबंदी से देश को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। रुपयों की किल्लत से कारोबार बंद पड़े हैं। लोग नौकरी छोड़कर बैकों की लाइनों में खड़े हैं। अब तक लोगों ने चार लाख करोड़ रुपये बैंकों में जमा कराए जबकि 60 हजार करोड़ रुपये बैंकों से निकले।
क्या मिला – नोटबंदी के कारण बाजार में कैश की कमी हो रही है। कई एजेंसियों का मानना है कि भारत की विकास दर 0.7 फीसदी से 1 फीसदी तक घट सकती है।
विकास की रफ्तार पड़ी धीमी, शेयर बाजार और रूपये की स्थिति भी कमजोर
नोटबंदी का समाज पर असर – लोग बैंकों और एटीएम की लाइन में दम तोड़ रहे हैं। हिम्मत जवाब दे रही है। साहस टूट रहा है। यही वजह है कि अबतक देशभर में 47 लोग बैंकों की लाइन में मर चुके हैं। वहीं सरकार हर रोज़ नए-नए नियम लागू कर रही है, जिससे लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ जाती है। वो घरों से निकलते हैं कुछ सोचकर, जबकि बैंक पहुंचने पर कुछ और ही नियमों का पता लगता है। जग जाहिर है कि इस वक्त आम जनता की परेशानी चरम पर है।
क्या मिला – 9 दिन बाद भी सिर्फ 11 फीसदी एटीएम नए नोट जारी कर रहे हैं। जबकि पहले ही दिन प्रधानमंत्री ने कहा था कि दो हफ्ते में हालात सामान्य हो जाएंगे। आज दस दिन बाद की तस्वीर देखकर लगता नहीं कि इस स्थिति में आने वाले 2 या 4 दिन में कोई खास बदलाव होगा।
देश के 89 फीसदी एटीएम पैसों की किल्लत के चलते पड़े वीरान
नोटबंदी का सियासी असर – नोटबंदी के बाद ज्यादातर विपक्षी दल सरकार के खिलाफ एक जुट हुए। सरकार के खिलाफ बयानों और आरोपों का दौर चला। सड़क से लेकर संसद तक नोटबंदी का असर देखने को मिल रहा है। परेशान जनता सरकार को कोस रही है तो विपक्षी दल संसद की कार्रवाई चलने नहीं दे रहे।
क्या मिला – पीएम मोदी की मां बैंक से नोट बदलवाने पहुंची और उधर कांग्रेस उपाअध्यक्ष राहुल गांधी भी बैंक की कतार में खड़े हुए। सोशल मीडिया ने दोनों को राजनीति बताया।
नोटबंदी के बाद बैंक की लाइन में लगे राहुल गांधी और मोदी की मां को सोशल मीडिया ने बताया राजनीतिक दांवपेंच