नोटबंदी के बाद सरकार ने यह फैसला लिया था कि सारे टोल टैक्स को फ्रि कर दिया जाएंगा। ताकि लोगों के दिक्कत ना हो जिसकी अवधि बढ़ाकर 24 नवंबर कर दी है, लेकिन सरकार के फैसले के बावजूद लोगों से जबरन टोल वसूला जा रहा है।
सरकारी आदेश के बाद भी गुरूग्राम, फरीदाबाद टोल बैरियर से गुजरने वाले वाहन चालको की सचमुच जान पर बन आई है। वहां से गुजरने वाले वाहन चालको का आरोप है, कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की शह पर टोल वसूली की इजाजत रिलायंस कंपनी को दी गई है। लोग खुलकर कहने लगे हैं कि मोदी राज में टोल बैरियर पर खुलेआम गुंडागर्दी, अंधेरनगरी चल रही है। आम जनता केंद्र सरकार पर सवालिय नशान क्यों ना लगाए।
लोगों का कहना यह भी है कि उनके पास अगर खुल्ले पैसे नहीं होते या फिर वह 500 और 1000 के नोट देते है तो उनके साथ खुले आम गुंडागर्दी की जाती है उनसे जबरन टोल वसूला जाता है। अगर यह गैर भाजपा शासित राज्य में ऐसा होता तो आम लोगों का नजरिया कुछ और होता। लेकिन मोदी के अतिविश्वसीय और भरोसेमंद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर सरकार की नाक के नीचे टोल बैरियर पर खुलेआम लोगों के साथ गलत व्यवहार किया जा रहा है। लोगों से जबरन टोल वसूली कर रहे है। इसे तानाशाही नहीं कहे तो क्या कहे।