मोदी सरकार पर पी चिदंबरम का हमला, कहा- अगर मैं वित्त मंत्री होता तो 8 नवंबर को इस्तीफा दे देता

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पी चिदंबरम

कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम ने नोटबंदी के मुद्दे पर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कोलकाता साहित्योत्सव में बोलते हुए चिदंबरम ने कहा कि उनकी असली लड़ाई नोटबंदी से है क्योंकि एक गणतंत्र में कोई अकेला शख्स इतना बड़ा फैसला नहीं ले सकता। वित्त मंत्रालय के तीन सबसे महत्वूपर्ण अधिकारियों – वित्त सचिव, बैंकिंग सचिव व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बीते 70 दिन में एक शब्द भी नहीं बोला है। यह क्या साबित करता है? या तो उनकी सलाह नहीं ली गई और अगर सलाह ली गई तो वे सहमत नहीं है।

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जब चिदंबरम से पूछा गया कि अगर पीएम मोदी के कार्यकाल में अगर अरुण जेटली की जगह वह वित्त मंत्री होते तो वह क्या करते ? इसपर चिदंबरम बोले, वैसे तो ऐसा होगा नहीं। लेकिन फिर अगर मैं इस सरकार में वित्त मंत्री होता तो 8 नवंबर को इस्तीफा दे देता। क्योंकि यह एक बेकार निर्णय है, बुरा इरादे और बुरे तरीके से लागू किया गया। इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। यह सब पीएम मोदी को पहले से पता लग जाता अगर उन्होंने किसी ऐसे शख्स से सलाह ली होती जिसे असल में पैसे की सप्लाई के बारे में पता है।

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चिदंबरम ने आगे कहा, रघुराम राजन को इसलिए ही हटाया गया क्योंकि वह नोटबंदी के फैसले के खिलाफ थे। मुझे शक है कि सरकार इसे लागू करने की हड़बड़ी में थी। उर्जित पटेल के वक्त में इसे कुछ 64 दिनों के अंदर लागू कर दिया गया। चिदंबम ने आगे कहा, मुझे नहीं पता कि इस कदम से राजनीति में किसका फायदा होगा, लेकिन पीएम मोदी ने असंतोष पर पूंजीकृत कर दिया है। ठीक वैसे जैसे डोनाल्ड ट्रंप ने यूएस के चुनाव जीतने के लिए किया।

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चिदंबरम ने आगे कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि नोटबंदी के बाद ज्यादातर जन धन खातों का इस्तेमाल मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। चिदंबरम नोटबंदी का विरोध करते रहे हैं। चिदंबरम ने कहा, साक्ष्यों से ऐसा संकेत नहीं मिलता जन धन खातों का थोक में इस्तेमाल मनी लांड्रिंग के लिए किया गया। लगभग 25 प्रतिशत जन धन खातों में शून्य बैलेंस और बाकी में औसतन 27000 रुपये का बैलेंस था।