नोटबंदी के बाद बदली दिल्ली की तस्वीर, 33 फीसदी कम हुए खतरनाक क्राइम, सेंधमारी बढ़ी

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नोटबंदी

नोटबंदी के बाद राजधानी दिल्ली की जहां एक तरफ तक्लीफें बढ़ गई हैं, उन्हें रुपयों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ एक अच्छी खबर ये भी है कि दिल्ली के आपराधिक रिकॉर्ड में 33 फीसदी तक की कमी दर्ज की गई है।

8 नवंबर से लेकर 8 दिसंबर के बीच, पूरे 30 दिनों की हकीकत आंकड़ों के जरिए सामने आई है। आकंड़ों से पता लगा है कि जिन अपराधों में पैसा मोटिव होता है, उनपर नोटबंदी का ज्यादा असर हुआ है। एक्सपर्ट ये मान रहे हैं कि कैश की कमी के चलते अपराध दर में गिरावट दर्ज की गई है।

एनबीटी की खबर के मुताबिक पिछले एक महीने में फिरौती के लिए अपहरण की एक भी वारदात नहीं हुई। लूटपाट की संख्या आधी रह गई। जबरन वसूली में भारी गिरावट आई। हालांकि झड़पों की घटनाएं बढ़ गईं, जिसकी वजह बैंकों के बाहर लगी लाइनें मानी जा रही हैं।

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दिल्ली के सभी थानों के रिकॉर्ड के मुताबिक नोटबंदी के बाद एक महीने में 9 नवंबर से 8 दिसंबर तक हथियारों के बल पर 315 कैश रॉबरी हुई हैं। पिछले साल 561 कैश रॉबरी हुई थी। पुलिस अफसर मान रहे हैं कि लूटपाट में इस 44 पर्सेंट की गिरावट की वजह लोगों के पास कैश की कमी रही है। फिरौती के लिए एक भी अपहरण नहीं हुआ, जबकि पिछले साल इस दौरान फिरौती के लिए अपहरण हुए थे। पुलिस इसकी वजह मान रही है कि कैश की कमी की वजह से अपराधी गिरोहों को इन हालात में फिरौती मिलने की उम्मीद नहीं है।

बड़े और जघन्य अपराधों में सबसे ज्यादा गिरवाट दर्ज की गई है। जबरन उगाही तो 55 पर्सेंट कम हो गई है। नोटबंदी के अगले दिन से 8 दिसंबर तक एक्सटॉर्शन की 9 वारदातें हुईं, जबकि पिछले साल इन्हीं तारीखों के दौरान 20 वारदात हुई थीं। हालांकि डकैती पिछले साल के इन 30 दिनों में दो हुई थी और इस बार भी दो ही हुई हैं। मर्डर में भी कमी आ गई। पिछले साल 49 मर्डर हुए थे और इस बार 44 हुए हैं। हत्या के प्रयास में भी कमी आ गई। पिछले साल हत्या के 66 प्रयास हुए थे और इस बार 36 हुए हैं। मगर रेप की संख्या लगभग समान है। पिछले साल इस दौरान 156 रेप केस दर्ज हुए थे और इस बार 151 रेप केस दर्ज हुए हैं।

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झपटमारों की हरकतें भी कम हो गईं। पिछले साल 843 स्नैचिंग हुई थी, इस बार 734 स्नैचिंग हुई हैं। पुलिस अफसरों के मुताबिक नोटबंदी के बाद इस क्राइम में आई 13 फीसदी की गिरावट की वजह यह हो सकती है कि स्नैचर लूट की कमाई के नोट एक्सचेंज कराने में बिजी रहे। छेड़छाड़ भी घटी है। इनकी संख्या 377 से घटकर 256 हो गई।

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हालांकि नोटबंदी के ऐलान के बाद कुछ खास तरह के जुर्म बढ़ गए हैं। सेंधमारों ने घरों और दुकानों के ताले तोड़ कर कैश और गोल्ड की चोरी बढ़ा दी है। पिछले साल 1,075 सेंधमारियां हुई थीं, जो इस बार बढ़ कर 1,136 हो गईं। घरों में ताले तोड़े बगैर चोरियां भी 990 से बढ़ कर 1,021 हो गईं। अवैध शराब के खिलाफ दर्ज केसों की संख्या 141 से बढ़ कर 202 हो गई। नारकोटिक्स की बिक्री कम हुई।

( एनबीटी के सौजन्य से खबर )