demonetisation यानी विमुद्रीकरण, जिसे आम भाषा में नोटबंदी कहा जाता है..भारतीय मुद्रा के इतिहास में नोटबंदी के कई उदाहरण हैं।लेकिन ये सभी फैसले बड़े नोटों को लेकर किए गए।इनमें साल 1926 का नोटबंदी का फैसला थोड़ा अलग था। क्योंकि ये फैसला ढाई रुपये के नोट को बंद करने को लेकर किया गया था।
बात 90 साल पुरानी है और आजादी से कई दशक पहले की है। जब 1926 में ढाई रुपए के नोट को भारतीय करंसी से बाहर किया गया। पुरानी करेंसी को इकट्ठा करने के शौकीन लोगों की मानें तो नोटबंदी का ये फैसला भारतीय मुद्रा के इतिहास का पहला फैसला था।
दो रुपए आठ आने यानी ढाई रुपये के इस नोट को सन् 1918 में जारी किया गया था। उस वक्त अंश या भाग में कागज़ की मुद्रा कल्पना से परे मानी जाती था। क्योंकि सिक्कों का ज़माना था। लेकिन ढाई रुपये के नोट ने लोगों को बताया कि कागज़ की मुद्रा कैसी होती है। इस नोट की लंबाई 17 सेंटीमीटर और चौड़ाई 12 सेंटीमीटर थी। इस नोट पर किंग जॉर्ज पंचम का चित्र बना था।
क्यों ढाई रुपये के नोट को किया बंद ?
भारती- अमेरिका व्यापक रिश्तों के चलते डॉलर के साथ भारतीय मुद्रा के आसानी से विनियम के लिए संभवत: तत्कालीन सरकार ने जारी किया था। चूंकि मुद्रा का भाव उस समय भी स्थिर नहीं था। इसलिए नोट के चलन में परेशानी आने लगी। इसके चलते 1 जनवरी 1926 को ढाई रुपये के नोट को चलन से पूरी तरह हटा लिया गया।
ऐसा दिखता था पहला कागज़ का नोट