नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के अध्यक्ष एच एल दत्तू ने शुक्रवार(19 अगस्त) को कहा कि संगठित राजनीतिक भ्रष्टाचार और बढ़ती आबादी सुशासन एवं देश के विकास की राह में दो बड़े रोड़े हैं। एनएचआरसी और राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलयू) की ओर से ‘सुशासन, विकास एवं मानवाधिकार’ विषय पर आयोजित एक दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए दत्तू ने यह बात कही।
भारत के प्रधान न्यायाधीश रह चुके दत्तू ने अपनी दलील पर जोर देने के लिए सूचना का अधिकार कानून एवं डिजिटल इंडिया अभियान का उदाहरण दिया। आयोग की ओर से जारी एक बयान में दत्तू के हवाले से कहा गया कि शासन में पारदर्शिता लाने और भ्रष्टाचार के साधारण स्वरूपों से मुकाबले में थोड़ी प्रगति हुई है, लेकिन गहरे तक पैठ, संगठित राजनीतिक या व्यवस्थागत भ्रष्टाचार किसी देश को पंगु बना सकते है।
दत्तू ने कहा कि बढ़ती आबादी और भ्रष्टाचार सुशासन एवं भारत के विकास की राह में दो बड़े रोड़े हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से मुकाबले का बेहतरीन तरीका यह है कि सरकार भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी से खुद को मुक्त करे। उन्हें लोकतंत्र की निष्ठा के संरक्षण के लिए ‘‘जवाबदेह और पारदर्शी’’ बनना चाहिए।
दत्तू ने कहा कि भ्रष्टाचार सरकारी बजटों से धन को कहीं और मोड़ देता है, जबकि सरकारी बजटों का पूरा इस्तेमाल मानवाधिकारों को पूरी तरह साकार करने के लिए समर्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की समस्या को खत्म करने के लिए स्थायी समाधान तलाशने को और शोध को बढ़ावा देने की जरूरत है। दक्षता के अधिकतम मानकों को हासिल किए बगैर संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय किए गए 17 नए सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करना देश के लिए मुश्किल होगा।