पिछले काफी दिनों से 10 रूपये का सिक्का विवाद का मुद्दा बना हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में तो कई दुकानदारों ने 10 के सिक्के पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोई इसे नकली बताता है तो किसी के मुताबिक ये करंसी फेक है। अब सच्चाई चाहे जो हो लेकिन इस बात ये इनकार नहीं किया जा सकता कि 10 का सिक्का लोग लेने से बचने लगे हैं। अगर किसी के पास 10 के सिक्के हैं भी तो ये लोग इसे दूसरों को देने में लगे रहते हैं कि बस किसी तरह ये सिक्का इनके पाले से निकल जाए। लेकिन अब ऐसा करने वालों की खैर नहीं, जी हां खबर है कि 10 का सिक्का लेने से मना करने पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज होगा।
बरेली के पुलकित शर्मा के पास 10 रुपये के सिक्कों का ढेर लग गया था क्योंकि दुकानदार यह सिक्का लेने से इनकार करने लगे थे, लेकिन उन्होंने सिक्का लेना बंद नहीं किया था। इन दिनों फेसबुक और वॉट्सऐप पर तमाम अफवाहें फैलने लगी थीं कि 10 रुपये का सिक्का अब नहीं चलेगा। शनिवार को पीलीभीत के डीएम ने कहा कि 10 रुपये का सिक्का लेने से इनकार करने पर राजद्रोह लग सकता है
डीएम मासूम अली सरवर ने कहा, ’10 रुपये का सिक्का राष्ट्रीय करेंसी है और भारत सरकार धारक को करेंसी का मूल्य देने का वचन देती है। रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार भारतीय मुद्रा को लेने से कोई भी दुकानदार या अन्य कोई व्यक्ति लेने से इनकार करता है तो उस पर भारतीय मुद्रा अपमान अधिनियम के तहत राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो सकता है। इस मुकदमे में तहत आरोपी को सीधे जेल की हवा खानी पड़ सकती है। क्योंकि राजद्रोह के आरोपियों के लिए हमारे कानून में सख्त सज़ा के प्रावधान हैं।