परमाणु संपन्न पनडुब्बी की खास बात यह होती है कि दुश्मन को महीनों तक पता चले बिना इससे परमाणु हमले की जवाबी कार्रवाई की जा सकती है। 6 हजार टन वजनी अरिहंत हालांकि अभी तक पूरी तरह से तैनाती के लिए तैयार नहीं हैं। रक्षा मंत्रालय और नेवी की ओर से भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। इस रणनीतिक प्रोजेक्ट पर प्रधानमंत्री का दफ्तर नजर रखे हुए है। आईएनएस अरिहंत को ट्रायल के दौरान हर तरह के परीक्षण से गुजारा गया जिससे कि पानी में यह एक अहम हथियार साबित हो। हालांकि के सीरीज की सबमैरीन लॉन्चड बैलिस्टिक मिसाइलों को पूरी तरह से इसमें लगाने में वक्त लगेगा। के सीरीज की मिसाइलों का नाम पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम पर रखा गया है। के-15 एसएलबीएम की रेंज 750 किलोमीटर तक है जबकि के-4 3500 किलोमीटर तक जा सकती है।
आईएनएस अरिहंत को कई दशकों पहले शुरू किए गए गोपनीय एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसेल कार्यक्रम के तहत बनाया गया है। इसके साथ ही आईएनएस अरिदमन और एक अन्य पनडुब्बी का निर्माण भी हो रहा है। अरिदमन लगभग बनकर तैयार है और साल 2018 तक इसके मिलने की उम्मीद है।