जेटली का राहुल पर पलटवार, कहा यह विषय आंकड़ों का है नारों का नहीं

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महंगाई को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा मोदी सरकार पर लगाये आरोपों पर पलटवार करते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार से नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था और दोहरे अंकों वाली मुद्रास्फीति दर विरासत में मिलने के बावजूद हमनें कीमतों को नियंत्रण में रखा और इस बारे में आरोप, आंकड़ों का विकल्प नहीं हो सकते।

जेटली ने कहा कि इस साल अच्छी बरसात होने से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और कीमतें और नियंत्रण में आयेंगी। दाल की पैदावार 2 करोड़ टन होने के संकेत से इसकी कीमतों में भी कमी आयेगी। उन्होंने कहा कि केवल यह कहना कि तारीख बता दें कि कीमत कब कम होगी. यह ठीक नहीं है। हमें वे नीतियां बनानी होंगी जिससे पैदावार बढ़े। हमने ऐसी नीतियां बनाई हैं जिनसे किसान दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित होंगे ताकि मांग और आपूर्ति की समस्या को दूर किया जा सकेगा और कीमतें कम कम होंगी।

लोकसभा में मूल्यवृद्धि के बारे में नियम 193 के तहत चर्चा में हस्तक्षेप करते हुए जेटली ने कहा नीतिगत पंगुता की शिकार अर्थव्यवस्था मिलने और वैश्विक मंदी की स्थिति के बाद भी पिछले दो वषरे में हम तेज गति से आगे बढ़े हैं। दुनिया की तुलना में अच्छा कर रहे हैं।

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उन्होंने कहा कि पूरे दुनिया में मंदी छायी हुई थी, उभरती अर्थव्यवस्थाओं की स्थिति ठीक नहीं थी, भारत के बारे में नकारात्मक धारणा बनी हुई थी, बड़े बड़े विश्लेषक यह कह रहे थे कि ब्रिक्स में से आई :इंडिया: निकल जायेगा। ऐसे हालात में हमने सत्ता संभाली और इस सब के बावजूद भारत अच्छी वृद्धि दर बनाये रखकर दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
वित्त मंत्री ने कहा कि हमें विरासत में दोहरे अंक की मुद्रास्फीति दर मिली थी लेकिन इसके बावजूद हमारे वृहद आर्थिक संकेतक अच्छी स्थिति में हैं। हमारी सरकार बनने के बाद से मुद्रास्फीति नियंत्रण में है और थोक मूल्य पर आधारित मुद्रास्फीति रिणात्मक रही है। जेटली ने कहा कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के शासनकाल के अंतिम दो वषार्ंे में मुद्रास्फीति की दर 10 से 12 प्रतिशत के बीच थी। इसलिए यह समझने की जरूरत है कि आंकड़ों और नारों में अंतर होता है।

पूर्व की कांग्रेस नीति संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा कि सिर्फ आरोप लगाने से आंकड़े नहीं बदल जायेंगे। हमारी नीतियां और माध्यम ऐसे होने चाहिए जो जनता के वृहद हित में हों।

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दाल की कीमतों में वृद्धि के बारे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी दलों के आरोपों पर वित्त मंत्री ने कहा कि दाल की कीमत मांग और आपूर्ति से जुड़ा विषय है। भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक है, सबसे अधिक दाल की खपत भारत में होती है और दुनिया के देशों से सबसे अधिक दाल हम खरीदते हैं।
उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश करने से अधिक रोजगार सृजित होंगे और प्रगति होगी। वित्त मंत्री ने कहा कि इनकी लाभार्थियों में तेल कंपनियां, उपभोक्ता और आधारभूत ढांचे के विकास के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था है।

जेटली ने कहा, ‘‘ इस लाभ को तीन हिस्सों में बांटा गया है। एक सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों को जाता है। ये तेल कंपनियां कच्चे तेल की भविष्य की खरीद करती हैं और वे घाटा उठाती हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में गिरावट आई है, स्वाभाविक है कि बाजार में दाम तय करने वाली तेल कंपनियां पहले अपने घाटे की भरपाई करेंगी। जेटली ने कहा, ‘‘ हमने उसका एक भाग बुनियादी संरचना पर खर्च किया है क्योंकि इससे अधिक रोजगार सृजन और विकास को बढ़ाने में मदद मिलती है।’’ उन्होंने कहा कि जो लोग स्कूटर, कार या ट्रक चलाते हैं, वे सड़कों का इस्तेमाल भी करते हैं। इसलिए सड़कों के निर्माण में यह उनका योगदान है।

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जेटली ने कहा, ‘‘सीधी सी व्याख्या यह है कि उपभोक्ता पेट्रोल के कम दाम देने का हक रखता है। साथ ही उसे अच्छी सड़क का भी हक है। इसलिए उपभोक्ताओं को अच्छी सड़क मिलनी चाहिए।’’ पिछले कुछ महीनों से कच्चे तेल के वैश्विक दामों में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है लेकिन इस तरह की चिंताएं जताई जाती रहीं हैं कि सरकार इसका लाभ पूरी तरह उपभोक्ताओं को नहीं दे रही और इस तुलना में पेट्रोल, डीजल के दाम कम नहीं होते।

राहुल गांधी द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फरवरी 2014 के भाषण में महंगाई कम करने के वादे पर चुटकी लिये जाने पर पलटवार करते हुए जेटली ने कहा कि यह विषय आंकड़ों का है, नारों का नहीं। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार अर्थव्यवस्था को गंभीर स्थिति में छोड़ कर गई थी और ऐसे में कोई भी व्यक्ति जो चुनाव में जाता, वह महंगाई कम करने की बात करता ही।