सीरियल ब्लास्ट के आरोपी मोहम्मद रफीक शाह की मां का गुस्सा उस समय फूट पड़ा जब अदालत ने शाह को बरी करने का एलान किया। शाह की मां महमूदा ने मीडिया के समक्ष रुंधे गले से कहा कि उनका बेटा पिछले 11 साल से जेल की सलाखों के पीछे है। उसकी पूरी जवानी बर्बाद हो गई है।
दिल्ली पुलिस पर निशाना साधते हुए महमूदा ने कहा कि पुलिस क्या उनके बेटे के वो 11 साल वापस लौटा सकती है जो उसने जेल में काटे हैं। इसकी वजह से उसकी शादी भी नहीं हो पाई। महमूदा ने बेटे के लिए मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार व अदालत को पुलिस की गलती के लिए उनके बेटे को मुआवजा देना चाहिए। वहीं, शाह के पिता मोहम्मद यासीन ने कहा कि वर्ष 2005 में रफीक इस्लामिक स्टडीज में एमए कर रहा था जब पुलिस उसे कश्मीर से पकड़कर लाई।
उनका कहना था कि 29 अक्टूबर 2005 जिस दिन दिल्ली में ब्लास्ट हुआ रफीक अपने कक्षा में बैठा पढ़ रहा था। उन्होंने बताया कि कश्मीर विश्वविद्यालय के तत्कालीन वाइस चांसलर अब्दुल वाहीद कुरैशी ने बकायदा अदालत को यह जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि वह 14 फरवरी को आखिरी बार रफीक से मिलें थे वह थोड़ा डरा हुआ था। वहीं, अन्य आरोपियों के परिजनों ने अदालत के फैसले पर तो संतुष्टी जताई लेकिन कहा कि उन्हें 11 साल की लंबी न्यायिक लड़ाई के बाद इंसाफ मिला है। लेकिन बेटे का जीवन बर्बाद होने की कीमत कोई नहीं चुका सकता।