खुलासा: बेगुनाह थे दिल्ली धमाकों के आरोपी, 2009 में ही मिल गई थी क्लीन चिट, फिर भी 8 साल बाद रिहाई

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दिल्ली
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अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के फ्रंट पेज पर प्रकाशित इस खबर ने दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस की भूमिका पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। दरअसल ये खबर 2005 के दिल्ली बम धमाकों और उनके आरोपियों से जुड़ी हुई है। खबर के मुताबिक साल 2005 में दिल्ली बम धमाकों में दिल्ली पुलिस ने जिन आरोपियों को गिरफ्तार किया था, दरअसल वो बेगुनाह थे। आंध्र प्रदेश पुलिस ने साल 2009 में ही इन दोनों आरोपियों को क्लीन चिट भी दे दी थी। बावजूद इसके उनकी 8 साल बाद हुई रिहाई हुई।

पढ़िए पूरा मामला 

साल 2009 में मिले नए सबूतों के आधार पर दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस ब्यूरो यह बात जानते थे कि 2005 दिल्ली ब्लास्ट मामले में जिन तीन कश्मीरी युवकों पर मुकदमा चल रहा है, उनका इस हमले से कोई लेना-देना नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस को मिले दस्तावेजों में इसका खुलासा हुआ है। अक्टबूर 20, 2005 को दिल्ली के सरोजिनी नगर, गोविंदपुरी और पहाड़गंज में दिवाली से पहले बम धमाके हुए थे, जिसमें 60 लोग मारे गए थे। सूत्रों के हवाले से अखबार को मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी इन सबूतों की खबर थी, लेकिन फिर भी इस मामले के अलावा अन्य दो मामलों में पुर्नजांच के आदेश नहीं दिए गए। इस महीने की शुरुआत में मोहम्मद रफीक शाह और मोहम्मद हुसैन फाजिली को इस मामले में बरी कर दिया गया था। एक अन्य शख्स तारीक डार को इस मामले में आतंकवाद को समर्थन देने के लिए आरोपी ठहराया गया था, लेकिन हमला करने से आरोप से बरी कर दिया गया था।

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एक अन्य मामले में इलाहाबाद के फूलपुर की मस्जिद में इमाम मोहम्मद वलीउल्ला को वाराणसी के अश्वमेध घाट पर फरवरी 2005 में बम धमाके करने के आरोप में 10 साल की सजा सुनाई गई थी। वह फिलहाल डासना जेल में कैद हैं। तीसरा मामला 2006 का जब मुंबई की लोकल ट्रेनों में बम धमाके किए गए थे।

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लेकिन मार्च 2009 में आंध्र प्रदेश पुलिस के एटीएस के गोपनीय डोजियर के मुताबिक यह हमले इंडियन मुजाहिद्दीन ने कराए थे, इन लोगों ने नहीं। वहीं तत्कालीन गृहमंत्री पी.चिदंबरम के मुताबिक उन्हें तीन मामलों में इंडियन मुजाहिद्दीन की भूमिका के बारे में याद नहीं आ रहा, जिसके बारे में इंडियन एक्सप्रेस ने बताया है। उन्होंने कहा शायद इंटेलिजेंस ब्यूरो की रिपोर्ट्स में आंध्रप्रदेश पुलिस की जांच को भी शामिल कर लिया गया है।

क्या था आंध्रप्रदेश पुलिस के डोजियर में: इसमें पूछताछ के दौरान संदिग्धों ने बताया था कि दिल्ली बम धमाके इंडियन मुजाहिद्दीन के चीफ आतिफ आमीन ने कराए थे, जो बाटला हाउस एन्काउंटर में मारा गया था। उसने जसोला इलाके में एक फ्लैटे किराए पर लिया था। वह लगातार आजमगढ़ आया करता था। एक बार उसकी मुलाकात सादिक (शेख) से हुई और उसे बताया कि उसका दिल्ली में बम धमाके करने का प्लान है। इसके बाद बताया गया कि शेख की आमीन से मुलाकात हुई और जिस टीम ने धमाके किए उसमें इंजियन मुजाहिद्दीन के मिर्जा शदाब बेग, मोहम्मद शकील और शाकिब निसार थे। डोजियर में कहा गया कि आतिफ ने पहाड़गंज इलाके में प्रेशर कुकर बम रखे थे। शदाब ने सरोजिनी नगर और शकील और शाकिब ने गोविंदपुरी में धमाके किए थे। सबसे पहले तारीक डार को गिरफ्तार किया गया, इसके बाद उसी के बयान के आधार पर शाह और फाजली गिरफ्तार हुए। हालांकि किसी भी दस्तावेज में सामने नहीं आया था कि यह संदिग्ध हमले के तीन दिल्ली में नहीं थे।

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