केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने हाल ही में विकास के नेहरूवादी मॉडल की आलोचना की। और इसके एक दिन बाद ही केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी नेहरू के राजनैतिक आदर्शों की आलोचना की है। जितेंद्र ने रविवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर साफतौर पर नेहरू के राजनैतिक आदर्शों की असफलता है।
जम्मू के बाहरी इलाके में रविवार को ‘याद करो कुर्बानी’ रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय वित्तमंत्री ने कल अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में नेहरूवादी आदर्शों की विफलता के बारे में कहा था। आज मैं कहता हूं कि अगर आप नेहरू के राजनैतिक आदर्शों की नाकामयाबी देखना चाहते हैं, तो जम्मू-कश्मीर इसका सबसे सही उदाहरण है।’
जितेंद्र सिंह ने कहा कि महाराजा हरि सिंह के नियंत्रण में जम्मू-कश्मीर के 2.25 लाख स्क्वेयर किलोमीटर का भूभाग था, लेकिन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की असफल राजनैतिक दिशा का असर यह हुआ कि भारत को केवल 1 लाख स्क्वेयर किलोमीटक का ही इलाका मिला। उन्होंने कहा कि गिलगित, बालिस्तान और पाक अधिकृत के रूप में महाराजा के राज्य का बाकी हिस्सा पाकिस्तान ने अपने कब्जे में कर लिया। सिंह ने कहा, ‘महाराजा तो नेहरू से इतने चिढ़ गए थे कि उन्होंने फिर कभी जम्मू-कश्मीर ना लौटने का फैसला किया। उन्होंने मुंबई में ही अंतिम सांस ली।’
जितेंद्र ने कहा कि PM मोदी द्वारा शुरू की गई तिरंगा यात्रा तब ही पूरी होगी जब कि भारतीय झंडा गिलगित-बालिस्तान और कोटली में भी फहरा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बलूचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों का मुद्दा उठाना देश की आत्मरक्षा के लिए जरूरी था। इसी मौके पर रैली को संबोधित करते हुए BJP मंत्री चंद्रप्रकाश गंगा ने कहा कि कश्मीर में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए पत्थरबाजों को पैसा मिलता है। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह व पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी इस मौके पर जमा भीड़ को संबोधित किया।