सीआरपीएफ के प्रवक्ता राजेश यादव कहते हैं, “हमारा पड़ोसी ही हर तरह की सहायता प्रदान करता रहा है, वही इन्हें भड़काता है। यहाँ कुछ लोग हैं जो पाकिस्तान के इशारे पर युवाओं को बरगलाते हैं, उनका ब्रेन वॉश करते हैं।”
अजहर कादरी कहते हैं कि समय के साथ अलगाववादी संगठन हुर्रियत अपना असर खो चुकी है। नई मिलिटेंसी ने जो रोल मॉडल दिए हैं, उससे हुर्रियत का एजेंडा साइड लाइन हो चुका है।”
कादरी के मुताबिक, “यह अधिक खतरनाक है, गहरा है, और देर तक कायम रहने वाला है। यह पूरी तरह से स्थानीय है। इसे रोकना बहुत मुश्किल है। अगर पाकिस्तान चाहेगा भी तो ये मिलिटेंसी बंद नहीं होगी। अगर कोई समाधान भी खोजा जाए तो यह नहीं रोका जा सकेगा।”
राज्य में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध है, बातचीत के रास्ते बंद हैं और राजनीतिक प्रक्रिया ठप है। कश्मीर के युवाओं में बेबसी की भावना से बेचैनी पैदा हो रही है।
बेबसी और निराशा के माहौल में बिजबिहाड़ा के बासित जैसे कई नौजवान एक बार फिर चरमंपंथ की ओर आकर्षित हो रहे हैं। कश्मीर के सभी हलकों में यह चिंता बढ़ती जा रही है कि अतीत की तरह कश्मीरियों की नई पीढ़ी भी कहीं चरमपंथ की भेंट न चढ़ जाए।































































