जयललिता के निधन के बाद उनके अत्यंत विश्वस्त रहे मंत्री ओ पन्नीरसेल्वम को अन्नाद्रमुक ने पार्टी का नया नेता चुन लिया और देर रात राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने मुख्यमंत्री के रूप में उनको पद एवं गोपनीयता की शपथ भी दिलाई। हालांकि पन्नीरसेल्वम 22 सितंबर से अनौपचारिक रूप से कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे थे। पन्नीरसेल्वम थेवर समुदाय से हैं और दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
70 के दशक में कैंटीन ने कमाई की शुरूआत करने वाले ओ. पन्नीरसेल्वम तमिलनाडु के सीएम बन गए हैं। इससे पहले जयललिता के जेल जाने के बाद दो बार पन्नीरसेल्वम सत्ता की कमान संभाल चुके हैं। साल 2001 और 2014 में तत्कालीन सीएम जयललिता की गैरमौजूदगी में पन्नीरसेल्वम ने ही सत्ता की कमान संभाली थी। पन्नीरसेल्वम को अम्मा का सबसे करीबी भी माना जाता है।
1970 के दशक में पन्नीरसेल्वम ने अपने एक दोस्त विजयन के साथ मिलकर अपने गृहनगर थेनी जिले के पेरियाकुलम में कैंटीन शुरू की थी। करीब 10 साल बाद उन्होंने इसे अपने छोटे भाई ओ.राजा को सौंप दिया और राजनीति में आ गए।
पहले कार्यकाल में उन्होंने जयललिता की मर्जी के बिना कोई फैसला नहीं लिया। 2014 में जब जयललिता दोबारा जेल गईं, तो पन्नीरसेल्वम को दोबारा सीएम बनाया गया। 29सिंतबर 2014 से 22 मई 2015 तक वह पद पर बने रहे। लेकिन कभी जयललिता की कुर्सी पर नहीं बैठे।
जब से अम्मा बीमार हुईं और अस्पताल में भर्ती हुईं तब से करीब ढाई महीने तक पन्नीरसेल्वम ही पार्टी का कामकाज संभाल रहे थे। अम्मा का वो किस कदर सम्मान करते हैं इसका उदाहरण इस बात से ही लगाया जा सकता है कि जयललिता की बीमारी के बाद इन्होंने हर बैठक में अम्मा की फोटो का सामने रखकर फैसला लिया।
आखिरकार पन्नीरसेल्वम को उनकी वफादारी का ईनाम भी मिला। अम्मा चली गईं और अपने उत्तराधिकारी के तौर पर तमिलनाडु की सत्ता पन्नीरसेल्वम के हाथों में सौंप गईं। कभी कैंटीन चलाने वाले पन्नीरसेल्वम आज तमिलनाडु के सीएम बन चुके हैं।
































































