2004 में आयी भयंकर सुनामी से पीड़ित लोगों को सरकार द्वारा करोड़ों रुपए की राशि मुहैया कराई गयी थी। मदद के रूप में मिली इस राशि की गड़बड़ी संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पुड्डूचेरी और केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
सरकार ने सुनामी पीड़ितों की मदद के लिए 764 करोड़ की वित्तीय सहायता दी थी, जिसमें से सिर्फ 240 करोड़ खर्च होने का ब्योरा दिया गया है बाकी का 524 करोड़ का कोई हिसाब नहीं है। पुड्डूचेरी प्रशासन का कहना है कि उन्होंने पूरी राशि पुनर्वास और राहत कार्य में खर्च कर दी जबकि सरकार द्वारा दिये गए हिसाब में केवल 240 करोड़ का ब्योरा है बाकी राशि का कोई हिसाब नहीं है।
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पुड्डुचेरी सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर खर्चों का ब्योरा पेश करने का आदेश दिया है। सीपीआई (एम) के सदस्य टी मुरुगन ने एक याचिका दाखिल कर कहा है कि पिछले दो सालों से आरटीआई के तहत जुटाई गई जानकारियों के मुताबिक, पुड्डुचेरी को 763.98 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता मिली थी और सरकार ने सभी पैसे खर्च कर दिए। शीर्ष अदालत याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल इस याचिका की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता के वकील निखिल नैयर ने पीठ से कहा है कि मदद में दी गयी रकम और सरकार द्वारा दिये गए ब्यौरे के अनुसार सिर्फ 239.90 करोड़ खर्च किये गए हैं। तो इस बात का खुलासा करना ज़रूरी है कि बाकी की रकम का क्या हुआ। पीठ ने पाया कि मद्रास हाईकोर्ट ने जनवरी 2016 में उसकी याचिका खारिज कर दी थी।