पेशावर, पांच अगस्त :भाषा: पाकिस्तान में पेशावर की एक जेल में बंद 31 वर्षीय भारतीय कैदी पर हाल के महीनों में जेल के अन्य कैदियों ने तीन बार हमला किया है। इस व्यक्ति को एक सैन्य अदालत ने इस साल फर्जी पाकिस्तानी पहचान पत्र रखने का दोषी ठहराया था। भारतीय कैदी के वकील ने आज अदालत को यह जानकारी दी।
मुंबई निवासी हामिद नेहल अंसारी को 2012 में अफगानिस्तान के रास्ते पाकिस्तान में अवैध तरीके से प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। वह वहां कथित तौर पर एक लड़की से मिलने गया था, जिससे उसकी ऑनलाइन दोस्ती हुई थी।
पेशावर केंद्रीय कारागार में साथी कैदियों द्वारा किए गए हमले में उसे चोटें आई हैं।
अंसारी के वकील क़ाज़ी मोहम्मद अनवार ने पेशावर उच्च न्यायालय को कल बताया कि उसके मुवक्किल को कालकोठरी में हत्या के मामले में मौत की सजा काट रहे एक खूंखार अपराधी के साथ रखा गया था।
वकील ने कहा कि अंसारी पर पिछले महीनों में तीन बार हमला हुआ जिसमें घायल होने के बाद उसे इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया।
उन्होंने कहा कि जेल का वार्डन भी अंसारी के साथ क्रूरता से पेश आता था और रोजाना बिना-बात उसे थप्पड़ मारता था।
अनवर ने बताया कि अंसरी ने इस संबंध में जेल अधीक्षक से शिकायत भी की थी।
डॉन अखबार की खबर के अनुसार, जेल अधीक्षक मसूद-उर-रहमान ने घटना की पुष्टि की लेकिन इसे मामूली बताते हुए कहा कि जेल में इस तरह की घटनाएं होती हैं।
रहमान ने अदालत की पीठ को बताया कि तीन साल की सजा पाए अंसारी को काल कोठरी में रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘उसे उसकी सुरक्षा की खातिर सामान्य बैरक में अन्य कैदियों के साथ नहीं रख सकते हैं।’’ जेल अधीक्षक मसूद-उर-रहमान ने यह भी कहा कि जेल में महज 350 कैदियों को रखने का इंतजाम है, लेकिन फिलहाल वहां 3,000 कैदी बंद हैं।
अखबार के मुताबिक, अंसारी के वकील ने कहा कि जेल अधीक्षक अदालत को हलफनामा दायर कर वचन दें कि भविष्य में उनके मुवक्किल पर हमले नहीं होंेगे। हालांकि अधीक्षक ने कहा कि वह इस बाबत लिखित गांरटी नहीं दे सकते हैं। वकील ने अदालत से अधीक्षक को यह निर्देश देने का अनुरोध किया कि वह अंसारी को जेल के सुरक्षित हिस्से में भेजे जहां उनकी जान को कोई खतरा ना हो।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अधिकारियों से कहा कि वे अंसारी को सुरक्षा मुहैया कराएं और अधीक्षक से कहा कि वह सामाजिक कार्यकर्ता रक्षांदा नाज और अंसारी के साथ मिलकर कैदी की सुरक्षा के लिए कदम उठाएं।
अदालत ने अधीक्षक से कहा, ‘‘कानून-व्यवस्था बनाए रखना आपकी जिम्मेदारी है। बतौर जेलर कैदियों के जीवन और संपति की सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है।’’ ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ की खबर के अनुसार, अदालत ने अंसारी को आदेश दिया कि वह भी अपनी सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदम सुझाए। और इस संबंध में सिफारिशों की एक प्रति अदालत को दी जाए।