जयललिता के विरोधी और अपने भतीजों को पार्टी में शामिल किया
जेल जाते-जाते शशिकला कुछ ऐसा करनामा कर गईं जिसने उनकी भूमिका को सवालों के घेरे में ला खड़ा किया। पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने जिन लोगों को पार्टी सें बाहर निकाला था शशिकला ने उन्हें पार्टी में फिर शामिल कर लिया और बड़े पद पर बिठा दिया। ये दोनों कोई और नहीं बल्कि शशिकला के भतीजे हैं। शशिकला ने लंबे समय से पार्टी से बाहर चल रहे अपने भतीजे टीटीवी दिनाकरण और वेंकटेशन को AIADMK में वापस ले लिया। दिनाकरण को पार्टी का डिप्टी जनरल सेक्रटरी बनाया गया है। बता दें कि दोनों ही भतीजों को 2011 में जयललिता ने पार्टी से बाहर निकाल दिया था।
पन्नीर- पलानी में छिड़ी जंग, टूट की कगार पर AIADMK
खेल अभी खत्म नहीं हुआ है। शशिकला के जेल जाने के बाद पन्नीरसेल्वम अब पलानीसामी की मुश्किलें बढ़ाएंगे। पार्टी के ज्यादातर विधायक पन्नीरसेल्वम के पक्ष में आ सकते हैं। पार्टी टूट भी सकती है। आने वाले 10 दिन बता देंगे कि तमिलनाडु की राजनीति की दिशा और दशा क्या होगी। इसी बीच, जया की भतीजी दीपा जयकुमार खुलकर पन्नीरसेल्वम के सपोर्ट में आ गई हैं।
एआईएडीएमके की सीनियर लीडर्स का मानना है कि पार्टी एक बार फिर बुरे दौर से गुजर रही है। एक बार फिर से टूट हो सकती है। 1972 में एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) ने एआईएडीएमके का गठन किया था। 1987 में पहली बार पार्टी में दो धड़ों में बंट गई। 1989 में चुनाव में हार मिली।
1991 में जयललिता ने चुनाव में जीत हासिल कर खुद को राजनीति में स्थापित कर लिया। एमजीआर की बायोग्राफी लिखने वाले आर कन्नन के मुताबिक, ‘पन्नीरसेल्वम पार्टी कैडर को रिप्रेजेंट करते हैं। उनमें शशिकला को लेकर एक नाराजगी और भ्रम की स्थिति है। इसका एक कारण ये भी है कि शशिकला के पास सरकार चलाने का एक्सपीरियंस भी नहीं है। ये भी साफ नहीं है कि जयललिता की विरासत किसके हाथ में रहेगी। 1989 की तरह इसका असर वोटर पर पड़ सकता है।’
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