भारतीय स्टेट बैंक यानी SBI 11 करोड़ जनधन खातों को अपने ऊपर बोझ मानता है। यही वजह है कि इन खातों के प्रबंधन पर शुल्क लगाने की बात कही जा रही है। बैंक खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माना लगाने के अपने फैसले को SBI ने सही ठहराया है। देश के सबसे बड़े बैंक ने कहा है कि उसे शून्य शेष वाले बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के बोझ को कम करने के लिए कुछ शुल्क लगाना पड़ेगा।
SBI की चेयरपर्सन अरंधति भट्टाचार्य ने यहां महिला उद्यमियों पर राष्ट्रीय सम्मेलन के मौके पर कहा कि उसे सरकार की ओर से जुर्माने के अपने फैसले पर पुनर्विचार के लिए अभी तक औपचारिक रूप से कोई सूचना नहीं मिली है। यदि सरकार की ओर से कुछ आता है तो उस पर विचार किया जाएगा। लेकिन सवाल यह उठता कि आखिर क्यों SBI के हेड को यह कहना पड़ रहा है कि जुर्माना देना होगा। सवाल यह भी है कि आखिर जन धन खातों की बोझ का वहन बैंक के दूसरे ग्राहक क्यों करें?
पिछले सप्ताह SBI ने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने के प्रावधान को फिर लागू करने की घोषणा की थी। इसके अलावा उसने अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्कों में भी भारी बढ़ोतरी की है। नए शुल्क पहली अप्रैल से लागू होंगे। सरकारी बैंक इस कदम का विपक्षी दलों सहित अन्य चौतरफा आलोचना कर रहे हैं।
अरंधति भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आज हमारे उपर काफी बोझ है। इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है। हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है।’’ सवाल यह भी है कि आखिर जन धन खातों की बोझ का वहन बैंक के दूसरे ग्राहक क्यों करें?
पिछले सप्ताह SBI ने खातों में न्यूनतम राशि नहीं रखने पर जुर्माने के प्रावधान को फिर लागू करने की घोषणा की थी। इसके अलावा उसने अन्य बैंकिंग सेवाओं पर शुल्कों में भी भारी बढ़ोतरी की है। नए शुल्क पहली अप्रैल से लागू होंगे। सरकारी बैंक इस कदम का विपक्षी दलों सहित अन्य चौतरफा आलोचना कर रहे हैं।
अरंधति भट्टाचार्य ने कहा, ‘‘आज हमारे उपर काफी बोझ है। इनमें 11 करोड़ जनधन खाते भी शामिल हैं। इतनी बड़ी संख्या में जनधन खातों के प्रबंधन के लिए हमें कुछ शुल्क लगाने की जरूरत है। हमने कई चीजों पर विचार किया और सावधानी से विश्लेषण के बाद यह कदम उठाया है।’’