लेकिन इलाहाबाद है इंदिरा के लिए खास
दरअसल, मोतीलाल नेहरू ने सबसे पहले एक मुस्लिम व्यापारी से इलाहाबाद में बड़ा घर खरीदा और उसे स्वराज भवन का नाम दिया। इसी स्वराज भवन में 19 नवंबर 1917 को प्रियदर्शिनी का जन्म हुआ। बाद में स्वतंत्रता की लड़ाई में स्वराज भवन के दो हिस्से कर दिए गए, एक स्वराज भवन और दूसरा रिहाइश के लिए आनंद भवन। स्वराज भवन का इस्तेमाल आजादी की लड़ाई के लिए होने लगा।
अब आनंद भवन संग्रहालय में तब्दील हो चुका है, लेकिन इलाहाबाद आने पर स्वराज भवन के एक हिस्से में ही रुकना सोनिया को पसंद है। सोनिया ने खुद भी पुरानी इमारतों के नवीनीकरण का कोर्स किया है, इसलिए आनंद भवन और स्वराज भवन के नवीनीकरण के लिए खुद अपने कौशल के साथ अंग्रेज विशेषज्ञों की मदद ली। पूरी कोशिश रही कि पुरानी इमारत में छेड़छाड़ किए बिना इस ऐतिहासिक इमारत का नवीनीकरण हो।
इस बार भले ही पूरा गांधी परिवार स्वराज भवन में रुक रहा हो, लेकिन राहुल पहले इलाहाबाद आने पर सर्किट हाउस में रुकते रहे हैं। हालांकि, सूत्र बताते हैं कि सोनिया को इलाहाबाद आने पर स्वराज भवन में ही रुकना पसंद है। शायद गांधी परिवार की इस बहू को अपनी सास का आंगन खास सुहाता है और वो खुद भी इसकी देखरेख आम बहू की तरह खुद करती हैं। यहां आने वाले मेहमानों की सूची से लेकर हर तरह का फैसला बिना सोनिया के यहां नहीं होता। यहां तक कि राहुल प्रियंका की सिफारिश भी स्वराज भवन और आनंद भवन से जुड़े मुद्दे पर सोनिया से गुजरे बगैर परवान नहीं चढ़ती।
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