GST बिल पर मोदी को मिली बड़ी कामयाबी

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जीएसटी बिल पर सरकार को मिला राज्यों का साथ, अलग-थलग पड़ी कांग्रेस
नई दिल्ली : गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स रेट की लिमिट को संविधान संशोधन विधेयक में शामिल करने की कांग्रेस की मांग के विरोध में केंद्र सरकार को राज्यों का साथ मिल गया है। इससे संसद के मॉनसून सत्र में इस विधेयक को पास कराने के लिए आम सहमति बनाने में एनडीए सरकार को ज्यादा सहूलियत होगी। राज्यों के वित्त मंत्रियों की समिति ने जीएसटी के लिए संविधान संशोधन विधेयक में एक लिमिट रखने के प्रस्ताव पर ऐतराज जताया। इस समिति ने मंगलवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की।

इस कमेटी के अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने कहा, ‘जीएसटी के रेवेन्यू न्यूट्रल रेट को संविधान में नहीं रखा जा सकता है। सभी राज्य इस पर एकमत हैं। रेट को या तो नियमावली में या जीएसटी ऐक्ट में रखा जा सकता है।’ केरल के फाइनैंस मिनिस्टर थॉमस इसाक ने कहा, ‘कोई राज्य नहीं चाहता है कि जीएसटी रेट को संविधान में रख दिया जाए। यहां तक कि कांग्रेस शासित राज्य भी इसके पक्ष में नहीं हैं।’

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उन्होंने कहा कि राज्य विवादों के हल के लिए संविधान के तहत एक इकाई बनाने के विरोध में हैं और वे जीएसटी काउंसिल के पक्ष में हैं, जो किसी भी विवाद को हल करने का तरीका बनाए। जीएसटी काउंसिल राज्यों और केंद्र की संयुक्त इकाई होगी। इसाक ने कहा कि राज्य इंटर-स्टेट ट्रांजैक्शंस पर प्रस्तावित 1 पर्सेंट टैक्स खत्म करने के पक्ष में हैं। संसदीय समिति ने भी इसका विरोध किया है।

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मित्रा ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री राज्यों के रुख के बारे में राजनीतिक दलों से बातचीत करेंगे। टैक्स रेट की हदबंदी के एक अहम मुद्दे पर केंद्र को सपोर्ट करते हुए राज्य हालांकि रेवेन्यू में होने वाली कमी की पूरी भरपाई पांच वर्षों तक कराने की मांग पर एकजुट हो गए हैं और वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लोगों पर टैक्स का बोझ घटना चाहिए।

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यह बिल राज्यसभा में लटका हुआ है। कांग्रेस ने बिल के तीन बिंदुओं पर ऐतराज जताया है। सत्तारूढ़ एनडीए मैन्युफैक्चरिंग राज्यों के कंपनसेट करने के लिए इंटर-स्टेट ट्रांजैक्शंस पर 1 पर्सेंट टैक्स के प्रस्ताव को खत्म करने पर राजी हो गया है। इसके अलावा वह विवाद निपटारा इकाई नहीं बनाने पर भी राजी हो गया है। हालांकि वह जीएसटी रेट की लिमिट को संविधान के दायरे में रखने पर राजी नहीं है। राज्यों ने 1.5 करोड़ रुपये तक के टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन को अपने पास रखने की पुरजोर वकालत की है। उनका कहना है कि एडमिनिस्ट्रेशन पर दोहरे कंट्रोल से छोटे ट्रेडर्स को दिक्कत हो सकती है।