विभिन्न हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की कमी के संदर्भ में पीठ ने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट में कई अदालत कक्ष बंद पड़े हैं, क्योंकि कोई जज ही नहीं है। केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि एमओपी को अंतिम रूप नहीं दिया जाना एक कारण है। उन्होंने पीठ को आश्वासन दिया कि जजों की नियुक्ति पर निकट भविष्य में और प्रगति होगी। अदालत इस मामले में अब 11 नवंबर को आगे सुनवाई करेगा।
केंद्र ने 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि उच्चतर न्यायपालिका के लिए जजों की नियुक्ति और तबादले में ‘कोई आरोप प्रत्यारोप’ या ‘अड़चन’ नहीं है। केंद्र ने प्रक्रिया शुरू होने में ‘बहुत देरी’ के लिए उच्च न्यायालयों को जिम्मेदार ठहराया। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह जजों की नियुक्ति में कोई अड़चन बर्दाश्त नहीं करेगी और तेजी से जवाबदेही के लिए हस्तक्षेप करेगी, क्योंकि न्याय प्रणाली ध्वस्त हो रही है।
पीठ ने कहा था कि अगर सरकार को किसी नाम पर आपत्ति है तो वह कॉलेजियम के पास आ सकती है। अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि इस मुद्दे पर वर्ष 1971 युद्ध लड़ चुके लेफ्टिनेंट कर्नल अनिल काबोत्रा की जनहित याचिका पर फिलहाल कोई नोटिस जारी नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वह तथ्यों और आंकड़ों के साथ अदालत के पास लौटेंगे। जनहित याचिका में न्यायपालिका में बड़ी संख्या में लंबित मामलों और रिक्तियों का जिक्र किया गया था और इस संबंध में प्राधिकारों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।