नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू ने शुक्रवार(16 सितंबर) को कहा कि शीर्ष अदालत ने सौम्या बलात्कार एवं हत्या मामले में ‘‘कानून के हिसाब से गंभीर गलती’’ की है, जिसमें आरोपी गोविंदाचामी की मौत की सजा को निरस्त कर दिया गया।
काटजू ने अपने फेसबुक पोस्ट में कहा कि ‘‘सुप्रीम कोर्ट ने गोविंदाचामी को हत्या का दोषी न ठहराकर कानून के हिसाब से गंभीर गलती की है।’’ सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गोविंदाचामी की मौत की सजा को निरस्त कर दिया था, लेकिन बलात्कार के आरोप में उसकी उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा था।
यह घटना एक फरवरी 2011 को हुई थी। सौम्या उस समय 23 साल की थी। त्रिशूर स्थित फास्ट ट्रैक अदालत ने गोविंदाचामी को मौत की सजा सुनाई थी। बाद में केरल हाई कोर्ट ने उसकी मौत की सजा को बहाल रखा था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि आरोपी का इरादा लड़की की हत्या का नहीं था। इसने कहा था कि क्योंकि यह साबित नहीं हुआ है कि आरोपी का इरादा हत्या करने का था, इसलिए उसे हत्या का दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
काटजू ने कहा कि ‘‘अदालत ने जिस चीज की अनदेखी की, वह आईपीसी की धारा 300 है, जो हत्या को परिभाषित करती है, जिसके चार भाग हैं और केवल पहले भाग को हत्या के इरादे की आवश्यकता होती है।’’
प्रेस परिषद के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि ‘‘यदि तीन भागों में से कोई एक भी स्थापित होता है, तो यह हत्या कहलाएगा चाहे हत्या का इरादा रहा हो या न रहा हो।’’ काटजू ने कहा कि यह ‘‘खेदजनक’’ है कि अदालत ने धारा 300 को ध्यान से नहीं पढ़ा। उन्होंने कहा कि ‘‘खुली अदालत में फैसले की समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।’’