नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने शनिवार(20 अगस्त) को कहा कि उभरती सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति की चुनौतियों का सामना करने के लिए न्यायपालिका का ‘अनुरूपी उन्नयन’ अनिवार्य है।
उन्होंने कहा कि साफ सुथरा और शीघ्र न्याय अब भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि हमारे लोकतांत्रिक ढांचे के तीन स्तंभों के सामने कई चुनौतियां हैं, जो चहुंओर प्रगति में बड़े आयाम रखती हैं।
न्यायमूर्ति ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि तीसरे स्तंभ के रूप में न्यायपालिका के सामने न्यायपालिका तक पहुंच आसान बनाने की अपनी कई चुनौतियां हैं और कई कारणों से साफ सुथरा एवं शीघ्र न्याय दूर की कौड़ी बना हुआ है।