न्यायपालिका को अनावश्यक बोझ से मुक्ति दिलाए सरकार: CJI

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फाइल फोटो।

नई दिल्ली। प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने रविवार(2 अक्टूबर) को कानून मंत्रालय से अनुरोध किया कि वह एक ऐसी व्यवस्था विकसित करें, जिसके जरिए न्यायिक व्यवस्था को ऐसे टाले जाने योग्य बोझ से राहत दी जा सके जो सरकार और उसके कुछ विभागों के कुछ फैसले करने में उदासीनता, बेरखी या अक्षमता की वजह से पैदा होते हैं।

सीजेआई ने सरकार से पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने को कहा जो फैसला करेगी कि सरकार को किसी नागरिक के खिलाफ मुकदमा लड़ना है या नहीं या मुद्दे का अदालत के बाहर समाधान किया जा सकता है।

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ठाकुर ने कहा कि ‘‘मैं कानून मंत्री से अनुरोध करूंगा कि वह हमारी न्यायिक व्यवस्था पर टाले जाने योग्य बोझ जो हमपर पड़ते हैं उससे राहत देने के लिए कुछ व्यवस्था विकसित करें। ऐसा इसलिए नहीं कि हम उस बोझ को साझा करने को तैयार नहीं हैं, बल्कि किसी स्थिति से निपटने के लिए फैसला करने में सरकार की विशुद्ध उदासीनता या बेरखी या अक्षमता की वजह से यह नौबत आती है।’’

उन्होंने ये बातें यहां राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के लिए थीम गीत को लांच करने के मौके पर कही। सीजेआई ने कुछ अनावश्यक मामलों का उल्लेख किया, जिसकी अदालत पहुंचने से पहले छंटाई की जा सकती है और प्रशासनिक स्तर पर ही जिसका समाधान किया जा सकता है।

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सीजेआई ने कहा कि ‘‘हम न्याय कर रहे हैं। क्या सरकार से भी उसकी अपेक्षा नहीं की जाती है। क्यों हम नागरिकों को अदालत जाने पर मजबूर करें। मैं भारत सरकार से अनुरोध करूंगा कि कुछ तंत्र विकसित करें ताकि इन मुद्दों का अदालत के बाहर समाधान किया जा सके।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘आप ईमानदार पूर्व न्यायाधीशों की एक समिति बना सकते हैं। उन्हें फैसला करने दें। उस समिति को फैसला करने दें कि क्या नागरिक उस राहत का हकदार है। अगर वह सही है तो क्यों हम नागरिक को अदालत आने को मजबूर करें।’’

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सीजेआई ने कहा कि ‘‘न्यायिक व्यवस्था के बाहर संघर्ष या विवादों के समाधान के लिए तंत्र प्रदान करने की इच्छाशक्ति दिखाएं और आप वकीलों और न्यायाधीशों की मदद करेंगे।’’ विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद भी इस मौके पर मौजूद थे। उन्होंने ‘‘मध्यस्थता में चुनौतियों और आगे के रास्ते पर राष्ट्रीय विचार-विमर्श’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया और देशभर में 622 जिला स्तरीय नालसा केंद्रों के डिजिटलीकरण का प्रस्ताव दिया ताकि उन्हें अधिक सक्षम और प्रभावी बनाया जा सके।