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हिंदी दैनिक नवभारत टाइम्स की खबर बताती है कि इस रिपोर्ट के मुताबिक, मिश्रित उम्रसीमा के विवाहित लोगों की कुल संख्या 3.29 करोड़ है, जिसमें से 4.95 प्रतिशत लोग नाबालिग हैं। राजस्थान यूनिवर्सिटी के सोशियॉलजी विभाग के पूर्व प्रमुख राजीव गुप्ता ने तलाक व अलगाव के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे ज्यादातर मामलों के पीछे दहेज, बेटे-बेटी में फर्क, अवैध संबंध जैसे कारण जिम्मेदार हैं।
उन्होंने ऐसे नाबालिग शादी-शुदा बच्चों के साथ अपने पिछले अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि अलगाव व तलाक के बाद उनकी जिंदगी बद से बदतर हो जात है, उन्हें कई सालों तक व कई बार जीवनभर नरक जैसी जिंदगी अकेले जीनी पड़ती है।
बताया गया कि राजस्थान में अखा तीज़ (कई जगह अक्षय तृतीया) के दिन भारी मात्रा में बाल विवाह होते हैं। हालांकि सरकार ने ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए तमाम पहल की हैं।
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