केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि वक्त आ गया है कि सभी धर्मों की महिलाओं को समान अधिकार दिए जाएं, बगैर यह सोचे कि वह कौन से धर्म से ताल्लुक रखती है। बता दें कि पिछले हफ्ते सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि तीन तलाक़ की प्रक्रिया को खत्म हो जाना चाहिए क्योंकि यह महिलाओं की मर्यादा और बराबरी के अधिकार का हनन करता है। वहीं अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का कहना है कि मुसलमानों को शादी, तलाक और उत्तराधिकार वाले मामलों में शरिया कानून के मुताबिक ही चलना चाहिए।
उधर सरकार को कानूनी सुधार की सलाह देने वाले विधि आयोग ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) को लेकर आम लोगों की राय मांगी है। इसका मतलब है कि सभी धर्म और समुदाय एक ही कानून के मुताबिक चलेंगे. दूसरे शब्दों में मुसलमान और अन्य अल्पसंख्यक जैसे ईसाई और पारसी समुदाय अपने सिविल कोड को लागू रखने का अधिकार खो देंगे।